ठाणे, आठ सितंबर (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान लोक सेवक के काम में बाधा डालने और लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करने के मामले में आरोपी एक व्यक्ति को कह कहते हुए बरी कर दिया है कि एकमात्र शिकायतकर्ता की गवाही उसे दोषी ठहराने के लिए काफी नहीं थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी जी मोहिते ने तीन सितंबर को पारित आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त पुष्टिकारक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। आदेश की प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई।
ठाणे नगर निगम में लिपिक जितेन्द्र साबले की शिकायत पर मुम्ब्रा निवासी अनवर मीर सैयद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में कहा गया कि सैयद ने नौ और दस अप्रैल, 2020 को साबले और उनके साथियों द्वारा गश्त लगाते समय उनके काम में बाधा उत्पन्न की। उस समय जिले में महामारी नियंत्रण के तहत निषेधाज्ञा लागू थी।
सैयद पर भारतीय दंड संहिता, महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष ने केवल शिकायतकर्ता साबले और जांच अधिकारी (आईओ) रुपचंद शिंदे की गवाही के आधार पर अपना मामला प्रस्तुत किया, जबकि बचाव पक्ष ने साक्ष्यों को चुनौती दी।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष शिकायतकर्ता की गवाही के समर्थन में एक भी स्वतंत्र प्रत्यक्षदर्शी गवाह पेश नहीं कर सका।
उसने कहा, ‘जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता द्वारा अपने सहयोगियों के साथ उक्त तिथि, समय और स्थान पर की गई गश्त ड्यूटी को दर्शाने वाले दस्तावेजी साक्ष्य एकत्र नहीं किए हैं। कथित घटना का कोई स्वतंत्र प्रत्यक्षदर्शी नहीं है।’
न्यायाधीश ने कहा, ‘शिकायतकर्ता के साक्ष्य की पुष्टि के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य या दस्तावेजी साक्ष्य की आवश्यकता है। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने पुष्टि के लिए ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। इन परिस्थितियों में, अभियुक्त के विरुद्ध मामला साबित करने के लिए केवल शिकायतकर्ता की गवाही पर निर्भर रहना ठीक नहीं।’
इन निष्कर्षों के आधार पर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं कर सका, इसलिए सैयद को सभी आरोपों से बरी किया जाता है।
भाषा
सुमित मनीषा
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