महाराष्ट्र: बलात्कार के मामले में व्यक्ति बरी
महाराष्ट्र: बलात्कार के मामले में व्यक्ति बरी
ठाणे, 16 नवंबर (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने एक व्यक्ति को उस लड़की के साथ बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया है, जिसके नाबालिग होने का दावा किया गया था। अदालत ने लड़की के उम्र निर्धारित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं होने का हवाला देते हुए कहा कि दोनों के बीच संबंध ‘‘कमोबेश स्वैच्छिक’’ प्रतीत होता है।
यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम मामलों की विशेष न्यायाधीश रूबी यू मालवनकर ने 13 नवंबर को अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष 22 वर्षीय आरोपी युवक के खिलाफ ठोस और पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहा है।
आरोपी युवक और पीड़िता दोनों महाराष्ट्र के ठाणे जिले में भायंदर इलाके के रहने वाले थे। पीड़िता की मां द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद युवक को 19 मई, 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पीड़िता की मां ने अपनी शिकायत में आरोपी द्वारा गाली-गलौज और धमकी देने का आरोप लगाया था।
बाद में युवक पर भारतीय दंड संहिता और पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए लेकिन 20 अगस्त, 2020 को जमानत पर रिहा कर दिया गया।
पीड़िता ने बाद में अपने बयान में दावा किया था कि वे एक-दूसरे से प्यार करने लगे थे और उनके बीच ‘गहरा रिश्ता’ था।
अदालत ने पोक्सो अधिनियम के मामलों में उम्र के महत्व पर ध्यान दिया।
पीड़िता की जन्मतिथि 24 जून 2003 बताई गई थी और उसकी मां ने जन्म प्रमाण पत्र की एक फोटोकॉपी जमा करने का दावा किया था।
हालांकि, अदालत ने कहा, ‘पूरे मुकदमे के दौरान पीड़िता की जन्मतिथि दर्शाने वाला मूल जन्म प्रमाण पत्र रिकॉर्ड पर पेश नहीं किया गया। परिणामस्वरूप, उसकी सटीक जन्मतिथि के संबंध में किसी भी वैध निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए रिकॉर्ड पर कोई सबूत नहीं है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘…आरोपी के साथ उसके संबंध कमोबेश स्वैच्छिक, सहमति से और उसकी अपनी स्वतंत्र इच्छा से प्रतीत होते हैं। उसने यह भी स्वीकार किया कि अगर उसकी मां पुलिस थाने नहीं जाती, तो पीड़िता खुद कभी पुलिस के पास नहीं जाती।’
अदालत ने कहा कि ‘‘आरोपी के खिलाफ अपराध के तत्व साबित नहीं होते हैं, इसलिए सभी बिंदुओं पर जवाब नकारात्मक दर्ज किया जाना आवश्यक है और आरोपी को बरी किया जाना चाहिए।’’
भाषा सुमित अमित
अमित

Facebook



