पहलगाम हमले के बाद खच्चर वालों ने सबसे पहले मदद की : सुबोध पाटिल

पहलगाम हमले के बाद खच्चर वालों ने सबसे पहले मदद की : सुबोध पाटिल

पहलगाम हमले के बाद खच्चर वालों ने सबसे पहले मदद की : सुबोध पाटिल
Modified Date: May 2, 2025 / 06:54 pm IST
Published Date: May 2, 2025 6:54 pm IST

मुंबई, दो मई (भाषा) दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में बाल-बाल बचे मुंबई के सुबोध पाटिल ने शुक्रवार को बताया कि वह आतंकियों की गोली से घायल हो गए थे और खच्चर वालों ने सबसे पहले उनकी मदद की।

पहलगाम स्थित सेना अस्पताल में इलाज कराने के बाद पाटिल (60) बृहस्पतिवार रात अपनी पत्नी के साथ नवी मुंबई के कामोठे स्थित अपने घर लौटे।

पाटिल संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उस खौफनाक मंजर को याद कर भावुक हो गए। उन्होंने हमले के बाद घायलों की मदद करने वाले खच्चर वालों को धन्यवाद दिया।

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पाटिल ने बताया, ‘‘गर्दन में गोली लगने के कारण मैं बेहोश हो गया था। जब मुझे होश आया तो मैंने अपने आस-पास लाशें पड़ी देखीं। मुझे चलते हुए देखकर खच्चर वालों का एक समूह मेरे पास आया और मुझे पानी पिलाया।’’

उन्होंने बताया,‘‘हमने जिस खच्चर वाले की सेवा ली थी, वह भी उनमें से एक था। उस खच्चर वाले ने बताया कि मेरी पत्नी सुरक्षित है।’’

पाटिल ने उस वक्त को याद करते हुए कहा, ‘‘एक अन्य व्यक्ति ने मुझे खड़े होने में मदद की, मुझे सहारा देने के लिए अपना कंधा दिया और पूछा कि क्या मैं चल सकता हूं।’’ उन्होंने बताया कि खच्चर वाले उनका हिम्मत बंधा रहे थे।

पाटिल के मुताबिक खच्चर वाले उन्हें परिसर के बाहर ले गए और बैठने के लिए एक खाट दी।

पाटिल ने बताया, ‘‘कुछ समय बाद वे एक वाहन लेकर आए और मुझे भारतीय सेना के चिकित्सा केंद्र ले गए। वहां से मुझे हेलीकॉप्टर से ले जाया गया और सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया।’’

पाटिल ने हमले के बारे में बताया कि आतंकवादियों ने सभी हिंदू पर्यटकों को एक कतार में खड़े होने को कहा। उन्होंने बताया कि कतार में खड़े गए पर्यटकों ने आतंकवादियों से रहम की गुहार लगाई लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। और जिसने भी विरोध करने की कोशिश की, उसे तुरंत गोली मार दी गई।

पाटिल ने निकटवर्ती न्यू पनवेल टाउनशिप के निवासी देसले को भी याद किया, जो उस दिन हमले में महाराष्ट्र के मारे गए छह पर्यटकों में से एक थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों एक साथ घटनास्थल पर पहुंचे थे।’’

पाटिल ने बताया कि देसाले ने रोपवे की सवारी का विकल्प चुना और पत्नी के साथ पारंपरिक कश्मीरी पोशाक में तस्वीरें भी खिंचवाईं।

पाटिल ने कहा, सब कुछ पांच मिनट में हुआ लेकिन वह उन पांच मिनट को कभी नहीं भूल पाएंगे।

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश


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