(फाइल फोटो के साथ)
मुंबई, 29 मार्च (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 2022 में यहां एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान का कथित तौर पर अपमान करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली शिकायत में कोई राहत देने से बुधवार को इनकार करते हुए कहा कि मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
न्यायमूर्ति अमित बोरकर की एकल पीठ ने जनवरी 2023 के सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली बनर्जी की याचिका खारिज कर दी।
बनर्जी ने अपनी याचिका में कहा कि सत्र अदालत को सम्मन को रद्द करने और मामले को वापस लेने के बजाय पूरी शिकायत को रद्द कर देना चाहिए था।
न्यायमूर्ति अमित बोरकर ने कहा कि सत्र न्यायालय द्वारा पारित आदेश में मामले को नए सिरे से जांच के लिए वापस मजिस्ट्रेट की अदालत में भेजने और प्रक्रिया (समन) जारी करने पर नए सिरे से निर्णय करने में कोई खामी नजर नहीं आती। इसलिए उच्च न्यायालय को इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
याचिका में राष्ट्रगान का कथित तौर पर अपमान करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करने वाली अर्जी को पुनर्विचार के लिए फिर से मजिस्ट्रेट अदालत के पास भेजने के विशेष सांसद/विधायक अदालत के फैसले को ममता बनर्जी ने चुनौती दी थी।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने स्थानीय भाजपा पदाधिकारी विवेकानंद गुप्ता की शिकायत पर मार्च 2022 में बनर्जी को समन जारी किया था।
गुप्ता ने अपनी शिकायत में दावा किया कि दिसंबर, 2021 में यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान बजने पर भी बनर्जी बैठी रहीं, फिर बीच में अचानक खड़ी हुईं और दो पंक्तियां गाने के बाद अचानक चुप हो गईं और वहां से चली गईं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ जारी समन को विशेष सांसद/विधायक अदालत में चुनौती दी थी।
जनवरी 2023 में विशेष न्यायाधीश आर. एन. रोकाडे ने प्रक्रियागत आधार पर समन को दरकिनार कर दिया और मजिस्ट्रेट से गुप्ता की शिकायत पर नए सिरे से विचार करने को कहा था।
भाषा निहारिका नरेश
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