पुणे विस्फोट मामला: अदालत ने मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए आरोपी को जमानत दी

पुणे विस्फोट मामला: अदालत ने मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए आरोपी को जमानत दी

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  • Publish Date - September 10, 2025 / 04:38 PM IST,
    Updated On - September 10, 2025 / 04:38 PM IST

मुंबई, 10 सितंबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने 2012 के पुणे विस्फोट मामले में एक आरोपी को लंबे समय से जेल में बंद होने और मुकदमे में देरी का हवाला देते हुए जमानत दे दी।

न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश पाटिल की पीठ ने मंगलवार को पारित आदेश में कहा कि आवेदक फारूक बागवान 12 साल से अधिक समय से जेल में है और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना बहुत कम है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि 170 गवाहों में से वर्तमान में केवल 27 की ही निचली अदालत में गवाही दर्ज हुई है।

इसके अलावा, वर्तमान अपराध के अलावा बागवान का कोई अन्य आपराधिक इतिहास नहीं है।

अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की संभावना बहुत कम है। अब तक कानून का यह निर्धारित सिद्धांत है कि किसी भी आरोपी को जल्द मुकदमे की प्रक्रिया पूरी होने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।’’

पीठ ने बागवान को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी।

पुणे के व्यस्त जंगली महाराज रोड पर एक अगस्त 2012 को पांच विस्फोट हुए, जिसमें एक व्यक्ति घायल हो गया था। इन विस्फोट का प्रभाव कम था।

राज्य आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने दिसंबर 2012 में बागवान को मामले में कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया था।

अभियोजन पक्ष का कहना है कि ये विस्फोट इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादी कतील सिद्दीकी की मौत का बदला लेने के लिए किए गए थे, जिसकी जून 2012 में पुणे की यरवदा जेल में हत्या कर दी गई थी।

एटीएस ने विस्फोटों में कथित भूमिका के लिए कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया।

एटीएस ने आरोप लगाया कि बागवान ने सह-आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन के लिए सिम कार्ड खरीदने के मकसद से अपने कंप्यूटर पर जाली दस्तावेज तैयार किए थे और साजिश उसकी दुकान परिसर में रची गई थी।

भाषा यासिर पवनेश

पवनेश