राज ठाकरे ने साधु ग्राम के लिए पेड़ काटने के फैसले का विरोध किया

राज ठाकरे ने साधु ग्राम के लिए पेड़ काटने के फैसले का विरोध किया

  •  
  • Publish Date - November 29, 2025 / 04:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2025 / 04:37 PM IST

मुंबई, 29 नवंबर (भाषा) कुंभ मेले से पहले नासिक में ‘साधु ग्राम’ बनाने के लिए पेड़ों की कटाई की महाराष्ट्र सरकार की योजना का विरोध बढ़ता जा रहा है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को कहा कि देवेंद्र फडणवीस नीत सरकार को लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और संघर्ष को बढ़ने नहीं देना चाहिए।

राज ठाकरे ने सरकार पर ‘अवसरवाद’ का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार कुंभ मेले के बहाने पेड़ों को काटने और फिर जमीन अपने ‘पसंदीदा उद्योगपतियों’ को दान करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ‘टकराव वाला रुख’ अपनाती है, तो उनकी पार्टी इस लड़ाई में जनता के साथ खड़ी होगी।

अभिनेता और वृक्ष कार्यकर्ता सयाजी शिंदे ने शनिवार को नासिक के तपोवन क्षेत्र का दौरा किया और कहा कि अगर सरकार पेड़ों को काटने पर अड़ी रही, तो वह सरकार के खिलाफ जाएंगे। शिंदे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत मौजूदा ‘महायुति’ सरकार में शामिल उपमुख्यमंत्री अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सदस्य हैं।

अगले साल 31 अक्टूबर, 2026 से शुरू होने वाले कुंभ मेले से पहले, धार्मिक नेताओं और संतों के लिए तपोवन क्षेत्र के 1,200 एकड़ क्षेत्र में साधु ग्राम बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके लिए करीब 1,670 पेड़ों को काटने के लिए पीले रंग लगाकर चिह्नित किया गया है। प्रकृति प्रेमियों और नागरिकों का दावा था कि इनमें से कुछ पेड़ 100 साल पुराने हैं।

नासिक नगर निगम द्वारा पेड़ों की कटाई के लिए जारी किए गए नोटिस पर सैकड़ों आपत्तियां दर्ज की गईं। सोमवार को आपत्तियों पर हुई सुनवाई में अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई, क्योंकि पर्यावरण कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने प्रस्तावित पेड़-कटाई अभियान का कड़ा विरोध किया।

राज ठाकरे ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि यह पहली बार नहीं है कि नासिक में कुंभ मेला हो रहा है।

उन्होंने कहा,‘‘जब मनसे नासिक की सत्ता में थी, तब कई बुनियादी ढांचे के काम किए गए थे। उस समय, ऐसे पार्षद थे, जिन्होंने प्रशासन के बीच अच्छी बातचीत कराई, जिससे एक बेहतरीन व्यवस्था बनी। नासिक में सत्ता में रहते हुए, मनसे को पेड़ काटने की जरूरत महसूस नहीं हुई।’’

उन्होंने कहा कि सरकार को यह खोखला आश्वासन नहीं देना चाहिए कि नए पेड़ किसी और जगह लगाए जाएंगे, क्योंकि ऐसा कभी होता ही नहीं। ठाकरे ने सवाल किया कि अगर सरकार के पास कहीं और पांच गुना अधिक पेड़ लगाने की जगह है, तो वहां साधु ग्राम क्यों नहीं बसाती।

मनसे अध्यक्ष ने कहा, ‘‘(राज्य) सरकार को उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए साधुओं का बहाना बनाकर अवसरवादिता का सहारा नहीं लेना चाहिए। आज कुंभ मेले के बहाने पेड़ काटे जाएंगे, साधुओं के नाम पर जमीन समतल की जाएगी और फिर उसे अपने पसंदीदा उद्योगपतियों को दान कर दिया जाएगा! ऐसा लगता है कि इस सरकार की यही एकमात्र सोच है!’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वरना, महाराष्ट्र में इस समय और क्या चल रहा है? ज़मीन हड़पना या उद्योगपतियों के लिए बिचौलियों की तरह काम करना – यही तो मौजूदा मंत्री, विधायक, उनके रिश्तेदार और उनके खेमे कर रहे हैं!’’

ठाकरे ने कहा कि नासिक के निवासी इस पेड़ कटाई का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं नासिक के लोगों से दृढ़ रहने का आग्रह करता हूं। हम (स्थानीय निकाय) चुनावों के बाद भी इस कदम का विरोध करेंगे। मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि वह इस मामले में आगे न बढ़े और लोगों की राय का सम्मान करे। अगर सरकार टकराव का रुख अपनाती है, तो मनसे इस लड़ाई में लोगों के साथ है और हमेशा रहेगी।’’

राज ठाकरे से पहले उनके चचेरे भाई और शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि तपोवन, जहां प्रस्तावित साधु ग्राम बनाया जाना है, वह स्थान है जहां व्यापक रूप से यह माना जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान निवास किया था।

उद्धव ने कहा था, ‘‘पेड़ों की कटाई हिंदुत्व के नाम पर भ्रष्टाचार है। भाजपा का हिंदुत्व फर्जी है और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है।’’

सयाजी शिंदे ने शनिवार को कहा, ‘‘पेड़ हमारे अभिभावक हैं। हमें साधु ग्राम के लिए एक भी पेड़ नहीं कटने देना चाहिए। साधु आते-जाते रहें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन पेड़ों के लुप्त होने से हमारे जीवन और हमारी आने वाली पीढ़ियों पर असर पड़ेगा। इस दुनिया में सिर्फ पेड़ ही सेलिब्रिटी हैं। उनकी रक्षा करने की जरूरत है… कोई छिपा हुआ एजेंडा न चलाया जाए।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘साधु ग्राम के लिए एक भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए। अगर हमारे अपने ही लोग हमें धोखा देंगे, तो हम उन्हें अपना कैसे कह सकते हैं?’’

शिंदे ने कहा, ‘‘साधु, महंत अच्छे लोग हैं, लेकिन अगर किसी जगह पर 10 लोगों की जरूरत हो और 1,000 लोग आ जाएं, तो उन्हें साधु, महंत नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोगों को यहां आकर नासिक को बर्बाद नहीं करना चाहिए। स्थानीय निवासियों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए।’’

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप