मुंबई, 14 अप्रैल (भाषा) मुंबई, पुणे, परभणी, सतारा और शिरुर में केंद्र सरकार की तरफ से कराए गए सामाजिक ऑडिट ने महाराष्ट्र में सफाईकर्मियों की सुरक्षा में अधिकारियों और ठेकेदारों की ‘‘गंभीर विफलताओं’’ को उजागर किया है। इन वजहों से वर्ष 2021 और 2024 के बीच 18 सफाईकर्मियों की मृत्यु हो गई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश पर स्थापित इकाई, ‘महाराष्ट्र स्टेट सोसाइटी फॉर सोशल ऑडिट एंड ट्रांसपेरेंसी’ द्वारा ‘सफाई कर्मचारियों की मृत्यु पर सामाजिक ऑडिट रिपोर्ट 2021-24’ ने औपचारिक रूप से श्रमिकों को पंजीकृत करने में विफल रहने के लिए शहरी स्थानीय निकायों की भी खिंचाई की, जिससे उन्हें कानूनी सुरक्षा या कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच नहीं मिल पाई।
ऑडिट में कहा गया कि हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास (पीईएमएसआर) अधिनियम 2013 के तहत स्पष्ट कानूनी दायित्व होने के बावजूद, सर्वेक्षण किए गए सभी पांच स्थानों पर सुरक्षा प्रोटोकॉल, सुरक्षात्मक उपकरण और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र बड़े पैमाने पर अनुपस्थित थे।
इसमें कहा गया, ‘‘परभणी, मुंबई और अन्य जिलों में श्रमिकों को बुनियादी सुरक्षा उपकरणों के बिना सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए मजबूर किया गया। कार्यस्थल पर कोई प्राथमिक चिकित्सा किट या आपातकालीन बचाव उपकरण नहीं पाए गए। जहरीली गैसों के सांस लेने के कारण कई मौतें हुईं। यह पीईएमएसआर अधिनियम की धारा सात का उल्लंघन है, जो हाथों से सफाई की खतरनाक गतिविधियों पर रोक लगाता है।’’
ऑडिट में पाया गया कि सफाईकर्मियों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण का पूर्ण अभाव है, कार्य-पूर्व सुरक्षा प्रशिक्षण या जोखिम मूल्यांकन की कोई व्यवस्था नहीं है। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि लोनी कलभोर और मुंबई में श्रमिकों की मृत्यु इसलिए हुई क्योंकि वे काम में शामिल खतरों से अनभिज्ञ थे। इसके तहत सफाईकर्मियों को दिए जाने वाले मुआवजे के पैकेज पर भी चर्चा की गई, जिन्होंने या तो अपनी जान गंवा दी या विकलांगता सहित स्थायी चोट का सामना किया।
रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘कई मामलों में मृतक श्रमिकों के परिवारों को मुआवजा देने में देरी हुई या उसमें अनियमितता की गई। एक पीड़ित की आंख को स्थायी नुकसान पहुंचा और अधिकारियों की मदद के बिना उसका कोई दस्तावेज नहीं बन पाया। मुंबई में, परिवारों को मुआवजे की राशि के बारे में कथित तौर पर गुमराह किया गया।’’
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट में महाराष्ट्र में चार वर्षों में 18 सफाई कर्मचारियों की दुखद मौतों पर प्रकाश डाला गया है तथा उन व्यवस्थागत विफलताओं को रेखांकित किया गया है, जो उनके जीवन को खतरे में डाल रही हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने महाराष्ट्र में सफाईकर्मियों के सामाजिक ऑडिट का कार्य करने का निर्देश दिया था। मंत्रालय और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, इस सामाजिक ऑडिट में इन मौतों से जुड़ी परिस्थितियों, सुरक्षा प्रोटोकॉल और नियोक्ताओं एवं स्थानीय निकायों की जवाबदेही के स्तर की पुष्टि की गई।
रिपोर्ट में सुरक्षात्मक उपायों, कानूनी अनुपालन और पुनर्वास प्रयासों में स्पष्ट कमियों का खुलासा किया गया है, जिससे सुधार की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में ठेकेदारों की लापरवाही और स्थानीय अधिकारियों की खराब निगरानी पर भी प्रकाश डाला गया है।
भाषा आशीष माधव
माधव
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