Sub-Inspector Terminated News || Image- IBC24 News File
Sub-Inspector Terminated News: मुंबई: महाराष्ट्र के कोल्हापुर रेंज के विशेष आईजी ने सतारा महिला डॉक्टर आत्महत्या मामले में आरोपी, निलंबित पुलिस सब-इंस्पेक्टर (पीएसआई) गोपाल बदाने को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार, सतारा महिला आत्महत्या मामले में आरोपी निलंबित पीएसआई गोपाल बदाने को कोल्हापुर रेंज के विशेष आईजी सुनील फुलारी ने सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
इससे पहले, फलटण डॉक्टर आत्महत्या मामले की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल (SIT) का गठन किया गया था। आईपीएस अधिकारी तेजस्वी सातपुते इस SIT का नेतृत्व करेंगी। जाँच तुरंत शुरू करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। यह बयान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को सतारा-फलटन डॉक्टर आत्महत्या मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के निर्देश देने के एक दिन बाद आया है।
Sub-Inspector Terminated News: विपक्षी दल डॉक्टर की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। विपक्ष ने पहले भी मांग की थी कि इस मामले में सतारा से शिवसेना के पूर्व सांसद हिंदूराव नाइक निंबालकर के बेटे और पूर्व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रंजीत सिंह नाइक निंबालकर को गिरफ्तार किया जाए।
सतारा में तैनात डॉक्टर एक होटल के कमरे में मृत पाई गईं। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने अपने हाथ पर एक नोट छोड़ा था जिसमें एक पुलिस अधिकारी और दो अन्य के नाम थे। गोपाल बदने को 26 अक्टूबर को महाराष्ट्र के फलटण में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया गया और 30 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले, सतारा पुलिस ने इस मामले में दो व्यक्तियों गोपाल बदने और प्रशांत बनकर को गिरफ्तार किया था। दोनों आरोपियों के खिलाफ बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों में मामला दर्ज किया गया। इस घटना के बाद, नोट में नामित पुलिस उप-निरीक्षक बदने को निलंबित कर दिया गया।
मृत डॉक्टर के हाथ पर लिखे नोट में पुलिस अधिकारी तथा दो अन्य लोगों के नाम हैं, जिन्होनें उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करके यह चरम कदम उठाने के लिए मजबूर किया। इससे पहले, फडणवीस ने कहा कि सतारा के उप-जिला अस्पताल में एक महिला डॉक्टर की आत्महत्या के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि “इतने संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण करना बेहद असंवेदनशील है।”