मुंबई, 14 मई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक व्यक्ति द्वारा अपनी अलग रह रही पत्नी के पास से नाबालिग बेटी को जबरन ले जाने के कृत्य को ‘‘अनुचित’’ करार दिया और दंपति से कहा कि वे उसे (बच्ची को) अपने वैवाहिक विवाद से दूर रखें।
न्यायमूर्ति कमल खता और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की अवकाशकालीन पीठ एक महिला की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया है कि उसका पति पांच साल की बेटी को जबरन उसके पास से ले गया और उसे सौंपने से मना कर रहा है।
अदालत के मंगलवार के निर्देश के बाद वह व्यक्ति बुधवार को बच्ची के साथ पीठ के सामने पेश हुआ। पिता ने दावा किया कि वह अपनी बेटी को जबरन नहीं ले गया था। हालांकि, अदालत ने व्यक्ति के आचरण पर अपनी नाराजगी जताई।
अदालत ने कहा, ‘‘यह अमानवीय है। बच्ची को हुए आघात की कल्पना करें। रात में, पिता ने बच्चे को उसकी मौसी या मां से छीन लिया और चला गया, और वह कह रहा है कि कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई।’’
पीठ ने पिता को निर्देश दिया कि वह बच्ची की अभिरक्षा तुरंत मां को सौंप दे। पिता को हर शनिवार को अपनी बेटी से मिलने की अनुमति दी गई। अदालत ने दंपति से आग्रह किया, ‘‘अपने बच्चे को आप अपने बीच के झगड़े से दूर रखें।’’
भाषा आशीष सुरेश
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