निकाय चुनाव से पहले ‘महायुति’ में असहजता, ओबीसी आरक्षण पर न्यायालय के फैसले से बढ़ी अनिश्चितता
निकाय चुनाव से पहले ‘महायुति’ में असहजता, ओबीसी आरक्षण पर न्यायालय के फैसले से बढ़ी अनिश्चितता
मुंबई, 28 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के पहले चरण से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दलों—विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना—के बीच बढ़ती असहजता तथा ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय से कानूनी चुनौती, ‘महायुति’ के सामने दो प्रमुख चुनौतियां बनकर उभरी हैं।
राज्य में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर को होने हैं। यह चुनाव सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए पिछले वर्ष के विधानसभा चुनावों में मिली प्रचंड जीत के बाद पहला बड़ा चुनावी परीक्षण होगा। सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा, शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल हैं।
फिलहाल सबसे बड़ी अनिश्चितता उच्चतम न्यायालय से उत्पन्न हो रही है, जिसने 25 नवंबर को स्पष्ट कर दिया था कि पहले चरण में शामिल 57 स्थानीय निकायों के चुनाव परिणाम—जहां आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत के पार हो गई है—ओबीसी आरक्षण मुद्दे पर उसके अंतिम फैसले पर निर्भर करेंगे।
उच्चतम न्यायालय पहले ही चेतावनी दे चुका है कि यदि आरक्षण सीमा का उल्लंघन हुआ, तो चुनाव रद्द किए जा सकते हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने पुष्टि की है कि अधिसूचित 57 स्थानीय निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा पार हो गई है।
सत्तारूढ़ गठबंधन पर असर पड़ रहा है, क्योंकि घटक दलों के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं, खासकर पूर्व नगर पार्षदों और स्थानीय पदाधिकारियों को अपने पाले में करने को लेकर।
तनाव विशेष रूप से ठाणे और कल्याण-डोंबिवली क्षेत्रों में अधिक है, जिसे उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गढ़ माना जाता है।
पिछले सप्ताह, भाजपा द्वारा शिवसेना के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पाले में करने की कथित कोशिश के प्रति नाराजगी जताने के लिए शिंदे को छोड़कर शिवसेना के सभी मंत्री साप्ताहिक मंत्रिमंडल बैठक में शामिल नहीं हुए। बैठक के तुरंत बाद, शिंदे और शिवसेना के अन्य मंत्रियों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात की तथा एक-दूसरे की पार्टी में सेंध न लगाने के लिए समझौता किया।
इसके बाद, उपमुख्यमंत्री शिंदे ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात कर इन आंतरिक विवादों पर चिंता जताई और कहा कि ऐसे “टाले जा सकने वाले व्यवधान” माहौल खराब कर सकते हैं और विपक्ष को अनुचित बढ़त दे सकते हैं।
दहानू की एक रैली में शिंदे ने कहा कि घमंड ने रावण का सर्वनाश किया और रावण की लंका उसके अहंकार के कारण ही जलकर राख हो गई।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने इसे भाजपा पर परोक्ष टिप्पणी माना, क्योंकि यह बयान शिवसेना मंत्रियों द्वारा मंत्रिमंडल की बैठक छोड़ने के बाद पहली प्रतिक्रिया थी।
इधर, दूसरी रैली में फडणवीस ने कहा, “हम भगवान राम के अनुयायी हैं, हम लंका में नहीं रहते।”
शिवसेना के विधायक निलेश राणे ने बुधवार को आरोप लगाया कि सिंधुदुर्ग जिले के मालवण में दो स्थानीय निकाय चुनावों से पहले वोटरों में बांटने के लिए रखे गए नकदी से भरे थैले भाजपा कार्यकर्ता के घर से पाए गए। निलेश राणे के पिता नारायण राणे और भाई तथा राज्य सरकार में मंत्री नितेश राणे भाजपा में हैं। निलेश राणे ने दावा किया कि उन्होंने “स्टिंग ऑपरेशन” किया।
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यदि मतदाताओं के बीच वितरण के लिए नकदी रखने में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन उन्होंने (निलेश) राणे के उस तरीके पर सवाल उठाया, जिसमें वह कार्यकर्ता के घर, यहां तक कि शयन कक्ष में घुसे और कथित तौर पर “स्टिंग ऑपरेशन” किया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने कहा कि वह राणे के आरोपों का जवाब देंगे और पहले चरण के मतदान तक गठबंधन को बनाए रखने पर जोर दिया।
विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) में कांग्रेस, शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) शामिल हैं। एमवीए, सत्तारूढ़ ‘महायुति’ के भीतर खींचतान का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है। एमवीए नेताओं ने मतदाता सूची में कथित विसंगतियों पर भी सवाल उठाए हैं। एमवीए को उम्मीद है कि ‘महायुति’ के घटक दलों के बीच ‘दोस्ताना मुकाबले’ के कारण होने वाले बहुकोणीय मुकाबले से सत्ता पक्ष के वोट बिखरेंगे और उसके (एमवीए) उम्मीदवारों के जीत की संभावनाएं बढ़ेंगी।
भाषा
राखी दिलीप
दिलीप

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