Vande Bharat: ‘भाषा विवाद..राज-उद्धव आए साथ! महाराष्ट्र में त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर राज और उद्धव ठाकरे एकजुट क्यों हुए हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट

Politics of Maharashtra: 'भाषा विवाद..राज-उद्धव आए साथ! महाराष्ट्र में त्रिभाषा फॉर्मूले को लेकर राज और उद्धव ठाकरे एकजुट क्यों हुए हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - June 27, 2025 / 11:10 PM IST,
    Updated On - June 27, 2025 / 11:10 PM IST

Politics of Maharashtra | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • उद्धव और राज ठाकरे फिर एक साथ आए
  • मराठी अस्मिता के मुद्दे पर होगी संयुक्त रैली
  • शरद पवार भी ठाकरे भाइयों के साथ

मुंबई: Politics of Maharashtra महाराष्ट्र की सियासत नई करवट ले रही। कभी एक दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाने वाले उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने फिर से एक दूसरे का हाथ थाम लिया है। क्योंकि बात मराठी भाषा और मराठी अस्मिता की आ गई है। केंद्र की नई शिक्षा नीति के विरोध में दोनों भाईयों ने एक साथ विरोध का झंडा उठा लिया है।

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Politics of Maharashtra नई शिक्षा नीति और त्रिभाषा फॉर्मूले पर छिड़ी सियासी लड़ाई तमिलनाड़ु के बाद अब महाराष्ट्र पहुंच गई है। जहां मराठी बनाम हिंदी के टकराव ने सियासी विरोधियों को भी एकजुट कर दिया है। शिवसेना UBT के नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे ने भाषा विवाद के मुद्दे पर हाथ मिला लिया है। दोनों चचेरे भाई 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त रैली करने जा रहे हैं। राज और उद्धव तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लागू किया जाने के खिलाफ है।

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उद्धव का कहना है, मराठी लोग अच्छी हिंदी समझते और बोलते हैं तो हिंदी थोपने की क्या जरुरत है महायुति सरकार का फैसला ‘लैंग्वेज इमरजेंसी’ घोषित करने जैसा है। हम तीन भाषा नीति का समर्थन नहीं करते। सरकार के फैसले का विरोध तब तक जारी रखेंगे, जब तक कि इसे वापस नहीं ले लिया जाता।

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MNS नेता राज ठाकरे ने भी फडणवीस सरकार की त्रिभाषा फॉर्मूले पर निशाना साधा। हिंदी लागू करना महाराष्ट्र में निरंकुश शासन लाने का एक छिपा हुआ एजेंडा है यह महाराष्ट्र में मराठी के महत्व को कम करने की साजिश है। सरकार को पता होना चाहिए कि महाराष्ट्र की जनता क्या चाहती है।

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राज और उद्धव ठाकरे अकेले नहीं है। बल्कि NCP (SP) चीफ शरद पवार ने भी ठाकरे भाइयों का समर्थन किया। पवार ने कहा महाराष्ट्र में कक्षा 1 से हिंदी अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। अगर कोई नई भाषा शुरू की जाती है तो उसे कक्षा 5 के बाद ही शुरू किया जाना चाहिए। अगर हम छात्रों पर दूसरी भाषा का बोझ डालेंगे तो हमारी मातृभाषा को दरकिनार कर दिया जाएगा जो ठीक नहीं है।

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महाराष्ट्र में त्रिभाषा फॉर्मूले पर सियासत तब गरमाई जब फडणवीस सरकार ने अप्रैल में नई शिक्षा नीति पर अमल करते हुए पहली से 5वीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के रुप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया था। जब इसका विरोध तेज हुआ तो अपडेट गाइडलाइन जारी की गई। हिंदी के अलावा दूसरी भारतीय भाषा चुनने का विकल्प दे दिया।

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केंद्र सरकार की कोशिश है भारत की क्षेत्रीय या स्थानीय भाषाओं के साथ-साथ हिंदी को भी बढ़वा मिले। जिसके चलते त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत हिंदी को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन केंद्र का ये प्रयोग दक्षिण भारत में काम नहीं कर रहा। तमिलनाड़ु में तो इसका विरोध जगजाहिर है। लेकिन जहां बीजेपी सत्तारुढ़ है वहां भी उसकी राह आसान नहीं दिख रही। क्षेत्रीय पार्टिया स्थानीय भाषा को राज्य की अस्मिता से जोड़कर सियासी मायलेज लेने की कोशिश में जुट गई है

महाराष्ट्र त्रिभाषा फॉर्मूला क्या है?

महाराष्ट्र त्रिभाषा फॉर्मूला केंद्र की नई शिक्षा नीति का हिस्सा है, जिसके तहत पहली से पाँचवी कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है।

महाराष्ट्र त्रिभाषा फॉर्मूला का कौन विरोध कर रहा है?

उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और NCP (SP) चीफ शरद पवार समेत कई क्षेत्रीय नेता महाराष्ट्र त्रिभाषा फॉर्मूला का विरोध कर रहे हैं।

महाराष्ट्र त्रिभाषा फॉर्मूला में बदलाव हुआ या नहीं?

विरोध के बाद सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर हिंदी के अलावा किसी दूसरी भारतीय भाषा को भी चुनने का विकल्प दिया है।