Navratri 4th Day 2025: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन आज, मां कूष्मांडा की कृपा होगी प्राप्त, अगर ऐसे करेंगे पूजा-अर्चना…

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है और इस पावन अवसर पर श्रद्धालु नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है।

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  • Publish Date - September 25, 2025 / 07:17 AM IST,
    Updated On - September 25, 2025 / 07:17 AM IST

Navratri 4th Day 2025/ IBC24

HIGHLIGHTS
  • नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हुई है।
  • चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है।
  • मां कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से माना जाता है।

Navratri 4th Day 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर से हो चुकी है और इस पावन अवसर पर श्रद्धालु नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की आराधना की जाती है। मां कूष्मांडा को ब्रह्मांड की सृष्टि की रचयिता माना जाता है। संस्कृत शब्द ‘कूष्मांडा’ का अर्थ है “कुम्हड़ा” (पेठा), जिसे मां को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। यह माना जाता है कि अपने हल्के मुस्कान से सृष्टि की रचना करने वाली माता कूष्मांडा साधकों को ऊर्जा, समृद्धि और असीम बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

बुध ग्रह से है कूष्मांडा का संबंध

मां कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है। अतः इस दिन इनकी पूजा से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं और व्यक्ति की बुद्धि, वाणी और निर्णय क्षमता में सुधार आता है। मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि उनके आठ हाथ होते हैं। उनके हाथों में जपमाला, धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा सुशोभित होते हैं।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि

Navratri 4th Day 2025: इस दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर घर के ईशान कोण में या पूजा स्थल पर पीले रंग का आसन बिछाकर मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर गंगाजल से शुद्धिकरण कर विधिपूर्वक फल-फूल, रोली-चंदन, अक्षत, वस्त्र, धूप-दीप, मिठाई आदि अर्पित करें। विशेष रूप से पीले रंग की मिठाई, केसरयुक्त पेठा, मालपुआ और बताशे मां को भोग लगाएं। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या मां की स्तुति का पाठ करें। अंत में आरती गाएं और भूल-चूक के लिए क्षमा याचना कर सुख-समृद्धि की कामना करें।

नवरात्रि के चौथे दिन का शुभ रंग

देवी कूष्मांडा को पीला रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना, पीली बिंदी, पीले फूल और पीले फलों का उपयोग पूजा में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे मां शीघ्र प्रसन्न होकर साधक को अपने दिव्य आशीर्वाद से नवाजती हैं। इस प्रकार मां कूष्मांडा की आराधना व्यक्ति को न केवल मानसिक शांति प्रदान करती है, बल्कि जीवन के कष्ट, रोग, दरिद्रता और बुद्धि दोषों से भी मुक्ति दिलाती है।

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नवरात्रि के चौथे दिन किस देवी की पूजा होती है?

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है।

मां कूष्मांडा का क्या महत्व है?

मां कूष्मांडा को सृष्टि की रचयिता माना जाता है और ये बुद्धि, समृद्धि व ऊर्जा प्रदान करती हैं।

मां कूष्मांडा को क्या भोग अर्पित किया जाता है?

केसरयुक्त पेठा, मालपुआ और बताशे भोग के रूप में चढ़ाए जाते हैं।