(Skandmata Aarti, Image Credit: IBC24 News Customize)
रायपुर: Skandmata Ki Aarti: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ये भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि मां स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्रवत् स्नेह बरसाती हैं। उनकी आराधना से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सुख, शांति व सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। विधिपूर्वक पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मां को पीला रंग अत्यंत ही प्रिय है। इस कारण पूजा में पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए। उन्हें केले का भोग लगाएं और कमल पुष्प अर्पित करें। मंत्र व आरती से मां को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां स्कंदमाता शक्ति की शांत और करूणामयी रूप मानी जाती हैं। स्कंदमाता एक सिंह पर विराजमान होती हैं और उनके चार भुजाएं होती है। उनकी दाहिनी ऊपरी भुजा मं बालरूप भगवान स्कंद (कार्तिकेय) विराजमान हैं। दाहिनी निचली भुजा में कमल का पुष्प सुशोभित है। बाईं ऊपरी भुजा वरमुद्रा में है, वहीं निचली बाईं भुजा में भी कमल का फूल धारण किया है। देवी का यह रूप अत्यंत सौम्य, शक्तिशाली और कल्याण कारी माना जाता है।
इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ, पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। मां की प्रतिमा या चित्र को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा में कुमकुम, रोली, फूल, फल, मिठाई, पान का पत्ता, लौंग, इलायची और श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं। मां के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं। पूजा के अंत में ध्यान मंत्र, स्तुति और आरती करके मां स्कंदमाता को प्रसन्न करें।
मां स्कंदमाता को केला अत्यंत ही प्रिय है। उन्हें केले की खीर, केले से बनी मिठाई या केले का हलवा अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त मिश्री, सादा खीर, फल और मिठाइयों का भी भोग लगाया जा सकता है।
नवरात्रि के पांचवें दिन का शुभ रंग पीला और सफेद माना जाता है। मां स्कंदमाता की पूजा के दौरान इन रंगों का वस्त्र धारण करना मंगलकारी और शुभ फलदायी माना जाता है।
मां स्कंदमाता को कमल का पुष्प अधिक प्रिय है। देवी स्वयं कमलासन पर विराजमान होती हैं, इसलिए उन्हें पद्मासन नाम से भी जाना जाता है। गुलाब और गुड़हल के लाल फूल भी उन्हें अर्पित किए जा सकते हैं।
‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नमः॥’
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की आस पुराती, तेरी महिमा सब जग गाता।
कही पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे, गुण गाए तेरे भक्त प्यारे।
भक्ति अपनी हमें दिला दो, शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो।
इंद्र आदि देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए, तू ही खंडा हाथ उठाए।
दासों को सदा बचाने आई, भक्त की आस पुजाने आई।
स्कंदमाता जी की आरती जो कोई गावे, कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे।
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवां नाम तुम्हारा आता।