Namami Gange yojana: पीएम मोदी ने गंगा की सफाई का उठाया बीड़ा, इस योजना ने भारत की नदी संस्कृति को किया पुनर्जीवित
पीएम मोदी ने गंगा की सफाई का उठाया बीड़ा, इस योजना ने भारत की नदी संस्कृति को किया पुनर्जीवित! Namami Gange yojana revived India's river culture
Namami Gange yojana
Namami Gange yojana भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दमोदर दास मोदी का कल यानी शनिवार 17 सितंबर को जन्मदिन है। यानी कल पीएम मोदी 72वां जन्मदिन मनाएंगे। भारत के पीएम बनने के बाद मोदी ने देश के लिए कई कड़े फैसले लिए। जिनमें से एक ‘नमामि गंगे‘ नामक योजना भी शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के कई नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए नमामि गंगे योजना की शुरुआत की और गंगा नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दी। आज इस योजना से हर नदी की सफाई हुई और देश के लिए बहुत बड़े चुनौती साबित भी हुआ। आइए जानते है क्या है ‘नमामि गंगे‘?
क्या है नमामि गंगे योजना?
Namami Gange yojana ‘नमामि गंगे‘ एक गंगा संरक्षण मिशन है जिसे सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए शुरू की है। गोमुख से लेकर हरिद्वार तक के सफर के दौरान गंगा 405 किलोमीटर का सफर तय करती है। गंगा किनारे बसे 132 गांवों के कारण इनसे निकलने वाला कूड़ा-कचरा और करोड़ों लीटर सीवरेज ने गंगा को मैला कर दिया था। इसके तहत 2017 से उत्तराखंड में गंगा की निर्मलता के लिए कोशिशें शुरु हुई।
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सरकार ने गंगा नदी की सफाई के बजट को चार गुना खर्च करते हुए साल 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की मंजूरी दी। यह जानते हुए कि गंगा सरंक्षण और गंगा की सफाई एक बहुत ही बड़ा चुनौती साबित हुआ।
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नमामि गंगे में होने वाला कार्य
नमामि गंगे प्रोजेक्ट की 231 योजनाओं में गंगोत्री से शुरू होकर उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार और बंगाल में विभिन्न जगहों पर पानी के सवच्छ्ता का काम किया जाएगा। तालाबों का गंगा से जुड़ाव पर क्या असर होता है उसे भी देखा जाएगा। गंगा सफाई अभियान के लिए निम्नलिखित कार्य किये जाएंगे।
- पुराने घाटों का जीर्णोद्धार।
- नए घाट, चेंजिंग रूम, शौचालय, बैठने की जगह, आक्सीडेशन प्लान्ट बायोरेमेडेशन प्रक्रिया से
- सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट का निर्माण।
- गंगा से लगे शहरों में एसटीपी का निर्माण।
- गंगा व उसकी सहायक नदियों के किनारे पौधरोपण।
- रिवर-फ्रंट डेवलपमेंट का निर्माण (आधुनिकीकरण और नवीनीकरण)।
- गंगा के किनारे पेड़ लगाएं जाएंगे।
- स्नान घाट व श्मशान घाटों का निर्माण।
- विभिन्न संगठनों व संस्थाओं की मदद से जनजागरुकता की जाएगी।
- गंगा में गिरने वाले गंदे नालों की टैपिंग।
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नमामि गंगे योजना के लाभ क्या है?
गंगा नदी भारत की राष्ट्र नदी है और इस नदी को भारत के नागरिक पवित्र मानते है। गंगा नदी भारत के सबसे लंबी नदी है, इसकी लंबाई 2.25 किलोमीटर है। गंगा नदी को पर्यावरण मंत्रालय ने सबसे अधिक प्रदूषित और खतरे में घोषित किया। गंगा को स्वक्छ और प्रदूषण से मुक्त करने के लिए सरकार ने नमामि गंगे योजना की शुरुआत की। नमामि कार्यक्रम, पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रोजेक्ट नैशनल मिशन फोर क्लीन गंगा का फ्लैगशिप प्रोग्राम यानि सबसे प्रमुख कार्यक्रम है। इसके क्रियान्वयन में जल संसाधन और नदी विकास कार्यालय भी सम्मलित हैं।
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इस एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन नमामि गंगे की घोषणा जून 2014 में हुई थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए बजट को चार गुना कर 20,000 करोड रुपयों की मजूंरी दी। और को 100 प्रतिशत केन्द्रीय हिस्सेदारी के साथ केन्द्रीय योजना का रुप दिया गया।

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