Tulsi Vivah Vrat Katha 2023 : आखिर कब है तुलसी विवाह? व्रती महिलाएं करें इस कथा का पाठ

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023: तुलसी विवाह 24 नवंबर को है। तुलसी विवाह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है।

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023 : आखिर कब है तुलसी विवाह? व्रती महिलाएं करें इस कथा का पाठ

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023

Modified Date: November 22, 2023 / 02:34 pm IST
Published Date: November 22, 2023 2:13 pm IST

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023 : नई दिल्ली। इस साल तुलसी विवाह 24 नवंबर दिन शुक्रवार को है। तुलसी विवाह हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान शालिग्राम से कराया जाता है। इस दिन तुलसी पौधे को विष्णु भगवान (शालिग्राम) की पत्नी तुलसी के रूप में स्थापित करके उनका विवाह संपन्न किया जाता है। हिंदू धर्म में यह पर्व धार्मिक रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साथ ही विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं और दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इस पावन दिन विधि- विधान से पूजा- अर्चना कर ये व्रत कथा अवश्य पढ़ें।

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तुलसी विवाह की कथा

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023 : जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर था, जिसका विवाह वृंदा नाम की कन्या से हुआ. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी और पतिव्रता थी। इसी कारण जलंधर अजेय हो गया. अपने अजेय होने पर जलंधर को अभिमान हो गया और वह स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा। दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे।

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भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया। इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गई और वह युद्ध में मारा गया। जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर का बन जाने का शाप दे दिया। देवताओं की प्रार्थना पर वृंदा ने अपना शाप वापस ले लिया। लेकिन भगवान विष्णु वृंदा के साथ हुए छल के कारण लज्जित थे, अतः वृंदा के शाप को जीवित रखने के लिए उन्होंने अपना एक रूप पत्थर रूप में प्रकट किया जो शालिग्राम कहलाया।

Tulsi Vivah Vrat Katha 2023

भगवान विष्णु को दिया शाप वापस लेने के बाद वृंदा जलंधर के साथ सती हो गई। वृंदा के राख से तुलसी का पौधा निकला। वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से कराया। इसी घटना को याद रखने के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देव प्रबोधनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है।

शालिग्राम पत्थर गंडकी नदी से प्राप्त होता है। भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अगले जन्म में तुलसी के रूप में प्रकट होगी और लक्ष्मी से भी अधिक मेरी प्रिय रहोगी. तुम्हारा स्थान मेरे शीश पर होगा। मैं तुम्हारे बिना भोजन ग्रहण नहीं करूंगा। यही कारण है कि भगवान विष्णु के प्रसाद में तुलसी अवश्य रखा जाता है। बिना तुलसी के अर्पित किया गया प्रसाद भगवान विष्णु स्वीकार नहीं करते हैं।

 

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लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years