Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में कैसे करें दुर्गा माता की चौकी स्थापना, सबसे सरल पूजा विधि.. यहां पढ़ें
Chaitra Navratri 2023: इस बार चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023 से होगा, इस दौरान पंचक में माता रानी पृथ्वी पर पधारेंगी, लेकिन आदि शक्ति जगदंबा की पूजा में पंचक का असर नहीं होता। ऐसे में पहले दिन घटस्थापना सुबह 06.29 से लेकर 07.39 तक शुभ मुहूर्त में होगी।
Chaitra Navratri Chauki Sthapana: इस बार 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है, जो कि एक पवित्र हिन्दू पर्व है। इस पर्व की श्री शैलपुत्री, श्री ब्रह्मचारिणी, श्री चन्द्रघंटा, श्री कूष्मांडा, श्री स्कंदमाता, श्री कात्यायनी, श्री कालरात्रि, श्री महागौरी, श्री सिद्धिदात्री- ये 9 देवियां हैं। चैत्र नवरात्रि में दुर्गा की घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित की जाती है तथा 9 दिनों तक इन देवियों का पूजन-अर्चन किया जाता है।
Chaitra Navratri 2023: इस बार चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023 से होगा, इस दौरान पंचक में माता रानी पृथ्वी पर पधारेंगी, लेकिन आदि शक्ति जगदंबा की पूजा में पंचक का असर नहीं होता। ऐसे में पहले दिन घटस्थापना सुबह 06.29 से लेकर 07.39 तक शुभ मुहूर्त में होगी। चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा नाव की सवारी कर पधारेंगी, जो बहुत शुभ माना जाता है। वहीं उनके जाने का वाहन डोली रहेगी।
इस साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन दो बेहद शुभ ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग भी बन रहा है, जिसमें माता की पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा। वहीं इस साल देवी पूरे 9 दिन तक धरती पर भक्तों के बीच रहेगीं। आइए जानते हैं नवरात्रि के 9 दिन का महत्व और माता को प्रसन्न करने के लिए इन दिनों में कैसे पूजा करनी चाहिए।
चैत्र नवरात्रि में दुर्गा माता की चौकी की स्थापना कैसे करें?
* लकड़ी की एक चौकी को गंगाजल और शुद्ध जल से धोकर पवित्र करें।
* साफ कपड़े से पोंछकर उस पर लाल कपड़ा बिछा दें।
* इसे कलश के दाईं तरफ रखें।
* चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति अथवा फ्रेमयुक्त फोटो रखें।
* मां को चुनरी ओढ़ाएं।
* धूप, दीपक आदि जलाएं।
* 9 दिन तक जलने वाली माता की अखंड ज्योत जलाएं।
* देवी मां को तिलक लगाएं।
* मां दुर्गा को वस्त्र, चंदन, सुहाग के सामान यानी हल्दी, कुमकुम, सिन्दूर, अष्टगंध आदि अर्पित करें।
* काजल लगाएं।
* मंगलसूत्र, हरी चूड़ियां, फूल माला, इत्र, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
* श्रद्धानुसार दुर्गा सप्तशती के पाठ, देवी मां के स्तोत्र, सहस्रनाम आदि का पाठ करें।
* देवी मां की आरती करें।
* पूजन के उपरांत वेदी पर बोए अनाज पर जल छिड़कें।
* रोजाना देवी मां का पूजन करें तथा जौ वाले पात्र में जल का हल्का छिड़काव करें। जल बहुत अधिक या कम न छिड़कें। जल इतना हो कि जौ अंकुरित हो सके। ये अंकुरित जौ शुभ माने जाते हैं। यदि इनमें से किसी अंकुर का रंग सफेद हो तो उसे बहुत अच्छा माना जाता है। यह दुर्लभ होता है।
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