Christmas 2025/Image Source: IBC24
Christmas 2025: क्रिसमस, आज दुनियाभर में ख़ुशी और उत्सव का प्रतीक है। इस त्यौहार की चमक–दमक और खुशियों से भरी इस दुनिया में यह कल्पना कर पाना भी मुश्किल है कि कभी इस त्यौहार पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। जी हाँ, अपने सही सुना! 17वीं सदी में अमेरिका और इंग्लैंड में इस त्यौहार को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जब यह प्रतिबन्ध प्यूरिटन (Puritans) नामक एक कट्टर ईसाई समूह ने इसे “ईश्वर का अपमान” कहकर घोषित कर दिया। आइये विस्तारपूर्वक जानते हैं कि कब और क्यों लगाया गया था इस त्यौहार पर प्रतिबंध? क्या थी इसके पीछे की वजह..
प्यूरिटन (Puritans) का मानना था कि क्रिसमस का उल्लेख, बाईबल में नहीं है इसलिए ये बाईबल का हिस्सा नहीं हैं और न ही यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में कोई जानकारी है इसलिए यह अपवित्र है। वे इसे कैथोलिक (पोपरी) प्रभाव और पेगन उत्साहों से जोड़ते थे जिसमें लोग शराब पीकर जुआ खेलते थे और नाच-गाना करते थे। ये धार्मिक अनुशासन से ध्यान भटकाता है, इसलिए प्यूरिटन (Puritans) इसे “ईश्वर का अपमान” मानते थे।
यह कहानी धार्मिक सुधार, राजनैतिक उथल-पुथल और सांस्कृतिक संघर्ष की है।इंग्लैंड, जहाँ सदियों से क्रिसमस का त्यौहार उत्सव का केंद्र था, 1640 के दशक में अंग्रेजी गृहयुद्ध (English Civil War) के बाद प्यूरिटन (Puritans) प्रभाव वाली सांसद में इसपर निशाना साधा। वहीं प्रतिबन्ध का पहला झटका 1644 सदी में लगा जब यह दिन संसद द्वारा मासिक प्रार्थना और उपवास के दिन आकर टकराया, और क्रिसमस के दिन (25th december) को उत्सव नहीं बल्कि उपवास का दिन घोषित कर दिया गया। 1647 शताब्दी में प्यूरिटन प्रभाव वाली संसद ने क्रिसमस (Christmas), ईस्टर(Easter) और विटसन (Whitsun) पर पूरी तरह से प्रतिबन्ध लगा दिया। केंट और अन्य कई जगहों पर दंगे करवाए गए, क्रिसमस के दिन दुकाने खुली रखने के आदेश दिए गए। यह प्रतिबन्ध 1660 सदी तक चला, फिर राजा चार्ल्स II की बहाली ने क्रिसमस को वापस ला दिया।
अमेरिका में, मेसाचुसेट्स बे कॉलोनी के प्यूरिटन (Puritans) सरकार ने 1659 शताब्दी में क्रिसमस पर प्रतिबन्ध लगा दिया। कानून के अनुसार, क्रिसमस का जश्न मानते, दावत देते हुए पकडे गए तो उसे 5 शिलिंग जुर्माना देना पड़ेगा। मुख्यतः यह ईस्टर और विटसन (Whitsun) पर लागू था। यह प्रतिबंध 1681 तक चला फिर शाही गवर्नर सर एडमंड एंड्रोस के तहत इसे ख़ारिज कर दिया गया।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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