Diwali Upaay 2025: दिवाली की सुबह उठते ही कर लें ये एक काम, लक्ष्मी जी कभी नही छोड़कर जाएगी आपका घर

कार्तिक अमावस्या को मनाई जाने वाली दिवाली को बड़ी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश पूजन होता है, लेकिन सुबह भी विशेष कार्य करने का महत्व है, जिससे शुभता बढ़ती है और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

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  • Publish Date - October 17, 2025 / 10:34 AM IST,
    Updated On - October 17, 2025 / 10:34 AM IST

(Diwali Upaay 2025, Image Credit: Meta AI)

HIGHLIGHTS
  • स्कंदपुराण के अनुसार दिवाली की सुबह विशेष पूजा से मिलती है पितरों की कृपा।
  • सुबह स्नान, दान और व्रत से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त - 20 अक्टूबर को शाम 7:08 से रात 8:18 तक।

Diwali Upaay 2025: कार्तिक मास की अमावस्या को पूरे भारत में दीपावली का पर्व बेहद श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से प्रदोष काल में की जाती है, परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि यह बड़ी अमावस्या होती है और इस दिन सुबह किए जाने वाले कार्यों का भी काफी ज्यादा महत्व होता है।

दिवाली की सुबह क्यों महत्वपूर्ण होती है ?

स्कंदपुराण के मुताबिक, दिवाली की सुबह केवल स्नान करने भर से नहीं, बल्कि कुछ विशेष धार्मिक कार्य करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

  • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • देवताओं और पितरों की पूजा करें व उन्हें प्रणाम करें।
  • पितरों के नाम पर दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
  • दही, दूध, घी आदि से पार्वण श्राद्ध करना भी बहुत शुभ है।
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • इन कार्यों से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति कायम रहती है।

प्रदोष काल में करें लक्ष्मी-गणेश पूजन

शाम के समय प्रदोष काल में लक्ष्मी जी का पूजन करने की परंपरा है। इस दिन माता लक्ष्मी से धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। स्कंदपुराण के अनुसार, ‘जो भक्त लक्ष्मी जी को कमल के फूलों की शय्या पर विराजमान कर पूजन करता है, उस घर से लक्ष्मी कभी नहीं जाती।’

दिवाली 2025 तिथि और अमावस्या का समय

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2025, दोपहर 3:44 बजे।
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2025, शाम 5:54 बजे।
  • ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, इस वर्ष 20 अक्टूबर को ही दीपावली और लक्ष्मी पूजन का शुभ संयोग बन रहा है क्योंकि अमावस्या और प्रदोष काल एक ही दिन पड़ रहे हैं।

लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

  • लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक।
  • पूजन अवधि: 1 घंटा 11 मिनट।
  • प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक।
  • वृषभ लग्न काल: शाम 7:08 बजे से रात 9:03 बजे तक।

वृषभ लग्न को लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि यह स्थिर लग्न है और मां लक्ष्मी को स्थिरता अधिक प्रिय होती है।

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दिवाली की सुबह को इतना खास क्यों माना गया है?

स्कंदपुराण के अनुसार, दिवाली की सुबह केवल स्नान नहीं, बल्कि पितरों और देवताओं की पूजा, दान और व्रत जैसे कार्य करने से घर में सुख-शांति और लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

सुबह किन धार्मिक कार्यों को करना शुभ होता है?

पवित्र स्नान, पितरों और देवताओं को प्रणाम, पितृ तर्पण, घी-दूध से पार्वण श्राद्ध और यदि संभव हो तो व्रत करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

लक्ष्मी पूजन किस समय करना चाहिए?

2025 में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को शाम 7:08 बजे से रात 8:18 बजे तक रहेगा।

वृषभ लग्न का क्या महत्व है लक्ष्मी पूजन में?

वृषभ लग्न एक स्थिर लग्न है, जिसे लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि मां लक्ष्मी को स्थिरता प्रिय होती है।