Utpanna Ekadashi 2025: व्रत का फल मिलेगा दोगुना! उत्पन्ना एकादशी पर कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि व शांति आती है। साल 2025 में इसकी तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त विशेष महत्व रखता है।

Utpanna Ekadashi 2025: व्रत का फल मिलेगा दोगुना! उत्पन्ना एकादशी पर कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

(BHEL Share Price, Image Credit: IBC24 News Customize)

Modified Date: November 9, 2025 / 04:58 pm IST
Published Date: November 9, 2025 4:40 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है।
  • व्रत से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
  • यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है।

Utpanna Ekadashi 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। साल में आने वाली 24 एकादशियों में उत्पन्ना एकादशी को पहली और मूल एकादशी माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इस दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पौराणिक महत्व

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मुर नामक असुर के अत्याचार से पृथ्वी पर त्राहि-त्राहि मच गई थी। तब भगवान विष्णु ने अपनी शक्ति से एकादशी देवी को प्रकट किया। देवी ने उस दानव का वध किया और इस दिन को उत्पन्ना एकादशी नाम दिया। इसी कारण इसे सभी एकादशियों में पहली और सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और शुभ समय

  • तिथि: 15 नवंबर 2025 (शनिवार)
  • एकादशी आरंभ: 15 नवंबर, रात 12:49 बजे
  • एकादशी समाप्ति: 16 नवंबर, रात 2:37 बजे
  • नक्षत्र: उत्तर फाल्गुनी
  • योग: विश्कुंभ
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से 12:27 तक

इस शुभ समय में व्रत और पूजा आरंभ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

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व्रत और पूजा विधि

  • सुबह स्नान कर पीले वस्त्र पहनें।
  • भगवान विष्णु के नाम का दीपक जलाएं।
  • पूजा में पीले फूल, तुलसी पत्र, पीले फल और मिठाई अर्पित करें।
  • भक्त दिनभर व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जबकि कुछ फलाहार या एकादशी का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
  • इस दिन अनाज, चावल और दालों का सेवन वर्जित है।

व्रत का फल और लाभ

उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि देता है, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में मानसिक सुकून और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।