Ganesh Chaturthi 2022: भगवान गणेश को क्यों चढ़ाते हैं दूर्वा?, जानिए इसके चढ़ाने का नियम, महत्व और पौराणिक कथा

Ganesh Chaturthi 2022 Durva Grass Importance: जैसा कि सभी लोग जानते हैं। भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय है।

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  • Publish Date - September 1, 2022 / 04:41 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 12:28 PM IST

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2023

Ganesh Chaturthi 2022 Durva Grass Importance: जैसा कि सभी लोग जानते हैं। भगवान गणेश को मोदक अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही उन्हें दूर्वा भी काफी प्रिय है। इसलिए भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। दूर्वा का माला भी बनाकर अर्पित किया जाता है। क्या आपको मालूम है आखिर दूर्वा क्यों चढ़ाया जाता है? आज हम इस मुद्दे पर ही चर्चा करते हैं… जानते हैं गणेश जी की पूजा में क्या है दूर्वा का महत्व, नियम और इससे जुड़ी पौराणिक कथा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी या गणेशोत्सव के रूप में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दूर्वा के बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए इनकी पूजा में दूर्वा जरूर चढ़ाएं। दूर्वा एक प्रकार की घास होती है, जिसे दूब, अमृता, अनंता, महौषधि आदि नामों से भी जाना जाता है। ॉ

दूर्वा घास से जुड़ी पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, अनलासुर नाम का एक राक्षस था, जिसका आतंक चारों ओर फैला हुआ था। लोगों के साथ ही इस दैत्य के आतंक से देवी-देवता और ऋषि-मुनि भी परेशान थे। अनलासुर इतना शक्तिशाली था कि उससे जो भी सामना करता था वह सीधे उसे निगल जाता था। अनलासुर राक्षस को कोई भी देवता और मुनि मार नहीं पाए। तब सभी देवता अनलासुर के आतंक से परेशान होकर समाधान के लिए भगवान गणेश जी के पास पहुंचे। भगवान गणेश ने अनलासुर को युद्ध में हराकर उसे निगल लिया। लेकिन अनलासुर को निगलने के कारण भगवान गणेश जी के पेट में तीव्र और असहनीय जलन होने लगी थी। उनकी इस जलन को शांत करने के लिए मुनियों ने उन्हें दूर्वा घास की 21 गांठ खाने के लिए दी। इसे खाते ही भगवान गणेश के पेट की जलन शांत हो गई। तब से ही भगवान गणेश को दूर्वा प्रिय हो गई। इसलिए उनकी हर पूजा में दूर्वा चढ़ाई जाती है।

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दूर्वा घास चढ़ाने का मंत्र

भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाते समय गणेश जी के इन 11 मंत्रों का जाप जरूर करें।

ऊँ गं गणपतेय नम:

ऊँ गणाधिपाय नमः

ऊँ उमापुत्राय नमः

ऊँ विघ्ननाशनाय नमः

ऊँ विनायकाय नमः

, ऊँ ईशपुत्राय नमः

ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः

ऊँएकदन्ताय नमः

ऊँ इभवक्त्राय नमः

ऊँ मूषकवाहनाय नमः

ऊँ कुमारगुरवे नमः

ऐसा करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है और वह हर तरह की बाधा से मुक्त रहता है। साथ ही भगवान गणेश प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।

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दूर्वा घास चढ़ाने के नियम

गणेश जी को अर्पित करने के लिए हमेशा साफ-सुथरी जगह से ही दूर्वा घास तोड़े। आप घर पर भी किसी गमले में इसे लगा सकते हैं। दूर्वा घास का जोड़ा बनाकर गणेश जी को चढ़ाय जाता है। आप 11 या फिर 21 दूर्वा घास का जोड़ा बनाएं और पूजा मे मंत्रोच्चाण के साथ इसे चढ़ाएं।

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