Kaal Bhairav Ashtami 2025: काल भैरव अष्टमी कब है? काल के स्वामी की कृपा पाने का अनोखा अवसर! जान लें तिथि, शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्त्व

यह पर्व केवल काल (समय) ही नहीं बल्कि न्याय, रक्षा और सिद्धि का भी प्रतीक है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास यानि नवंबर-दिसंबर की काल भैरव अष्टमी को सबसे प्रमुख माना जाता है। आईये विस्तारपूर्वक जानतें हैं..

Kaal Bhairav Ashtami 2025: काल भैरव अष्टमी कब है? काल के स्वामी की कृपा पाने का अनोखा अवसर! जान लें तिथि, शुभ मुहुर्त, पूजा विधि और महत्त्व

Kaal Bhairav Ashtami 2025

Modified Date: November 8, 2025 / 05:34 pm IST
Published Date: November 8, 2025 5:06 pm IST
HIGHLIGHTS
  • काल भैरव अष्टमी 2025: क्यों रात में पूजे जाते हैं काल भैरव?
  • सरल पूजा विधि

Kaal Bhairav Ashtami 2025: वर्ष 2025 में, मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाने वाली काल भैरव अष्टमी 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जायेगी। “काल भैरव अष्टमी” को “कालाष्टमी” भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव के रौद्र रूप “काल भैरव” की पूजा का विशेष पर्व है, जो भगवान शिव के डरावने और क्रोधी रूप, भैरव के प्रकट होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष मास यानि नवंबर-दिसंबर की काल भैरव अष्टमी को सबसे प्रमुख माना जाता है।

Kaal Bhairav Ashtami 2025: काल भैरव अष्टमी क्यों मनाई जाती है? जान लें महत्व

भगवान काल भैरव समय (काल) के स्वामी हैं। काल भैरव अष्टमी वह पावन रात्रि है जब भगवान शिव का रौद्र रूप “काल भैरव” अपने भक्तों के समक्ष साक्षात् प्रकट होते हैं जो पापियों को दंड देते हैं उनका नाश करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

लेकिन कई बार ये सवाल उठता है कि इन्हें “काल भैरव” क्यों कहा जाता है? यह नाम कोई साधारण संयोग नहीं, बल्कि गहन दार्शनिक, पौराणिक, तांत्रिक और ज्योतिषीय सत्य का प्रतीक है। आईये बताते हैं आपको विस्तार से..

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Kaal Bhairav Ashtami 2025: इन्हें “काल भैरव” क्यों कहा जाता है?

भगवान शिव के अनगिनत रूपों हैं परन्तु उन में से काल भैरव सबसे रौद्र, रहस्यमयी और शक्तिशाली हैं। भगवान शिव के इस रौद्र रूप को काल भैरव इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे काल (समय) के भी काल हैं अर्थात जो कालचक्र को वश में रखतें है। “काल” शब्द समय को दर्शाता है, जो सृष्टि, जीवन और मृत्यु का निर्धारक है और “भैरव” का अर्थ है “भयंकर रूप” जो पापियों के दिलों को दहला है और भक्तों को भय से मुक्ति दिलातें है, इसलिए उनका नाम “काल” से शुरू होता है क्योंकि वे समय के परे हैं।

Kaal Bhairav Ashtami 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त 

2025 में तिथि: 12 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 11 नवंबर 2025, रात 11:08 बजे।
अष्टमी तिथि समापन: 12 नवंबर 2025, रात 10:58 बजे।
यह तिथि रात्रि काल (मध्यरात्रि) में पूजा के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि भैरव बाबा रात्रि के समय ऊर्जावान होते हैं।

सरल पूजा विधि

  • इस दिन रात में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। सबसे पहले भैरव बाबा के सामने सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाएँ।
  • भगवान भैरव को उड़द की दाल, काला तिल, और सरसों का तेल चढ़ाएँ, फिर नीले या चमेली के फूल अर्पित करें।
  • उसके पश्चात् भैरव बाबा को उड़द दाल से बने पकवान का भोग लगाएं हैं।
  • पूजा के दौरान “ॐ काल भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • काल भैरव अष्टकम: रात में पूजा के समय काल भैरव अष्टकम का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • पूजा के पश्चात् भगवान काल भैरव की आरती करना न भूलें, अन्यथा पूजा अधूरी रह जाएगी।
  • जिन भक्तों भैरव अष्टमी का व्रत रखा है तो व्रत पूरा होने के पश्चात् काले कुत्ते को मीठी रोटी या गुड़ के पुए खिलाएँ। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है क्योंकि कुत्ता भैरव जी का वाहन माना जाता है।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.