(Kharmas 2025 / Image Credit: IBC24 News)
Kharmas 2025: हिंदू धर्म में जब सूर्य देव बृहस्पति ग्रह की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की शुरुआत मानी जाती है। यह अवधि लगभग 30 दिनों की होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान सूर्य की गति धीमी हो जाती है और उनकी शक्ति कमजोर पड़ती है, जिससे शुभ कार्यों के लिए यह समय अनुकूल नहीं माना जाता। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य मांगलिक संस्कार इस महीने नहीं किए जाते।
खरमास के दौरान सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में अपेक्षाकृत धीमी गति से भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि इस समय सूर्य के कमजोर होने से ग्रहों का संतुलन प्रभावित होता है। इसका असर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों और नए कार्यों पर पड़ सकता है। इसी वजह से लोग इस अवधि में किसी भी नए शुभ या बड़े कार्य की शुरुआत करने से परहेज करते हैं, ताकि भविष्य में बाधाएं न आएं।
इस वर्ष सूर्य 16 दिसंबर को दोपहर 1:24 बजे देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करेंगे, जिसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। वहीं 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ यह अवधि समाप्त होगी। धार्मिक गणना के अनुसार 15 जनवरी सुबह 6:05 बजे के बाद खरमास खत्म माना जाएगा और शुभ कार्य दोबारा शुरू किए जा सकेंगे।
हालांकि खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन यह समय पूजा-पाठ, दान और तपस्या के लिए बेहद शुभ माना गया है। बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए केसर, हल्दी, पीली दाल, पीले वस्त्र और केले जैसे पीले पदार्थों का दान किया जा सकता है। सूर्य देव की आराधना के लिए लाल वस्त्र, काले चने और अन्न दान करना लाभकारी माना जाता है।
खरमास में तीर्थ स्थानों की यात्रा करना भी शुभ फलदायी माना गया है। इस दौरान घर में भगवद गीता पाठ या सत्यनारायण कथा का आयोजन किया जा सकता है। अधिक से अधिक लोगों को इसमें शामिल करने से पुण्य फल बढ़ता है और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। साथ ही नया वाहन, घर या प्रॉपर्टी खरीदना और नया व्यवसाय शुरू करने से भी बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसे शुभ फलदायी नहीं माना जाता।