Kharmas 2025: इस तारीख से शुरू हो रहा है खरमास, एक महीने तक क्यों थम जाएंगे शादी-ब्याह और शुभ कार्य? जानिए क्या है इसके पीछे की वजह?

हिंदू धर्म में खरमास लगभग एक महीने तक रहता है, जिसमें विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। हालांकि इस अवधि को पूजा-पाठ, जप-तप, व्रत और दान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, जिससे विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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  • Publish Date - December 14, 2025 / 02:21 PM IST,
    Updated On - December 14, 2025 / 03:32 PM IST

(Kharmas 2025 / Image Credit: IBC24 News)

HIGHLIGHTS
  • खरमास की अवधि लगभग 30 दिनों की होती है।
  • विवाह और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
  • पूजा-पाठ और दान के लिए यह समय अत्यंत शुभ माना गया है।

Kharmas 2025: हिंदू धर्म में जब सूर्य देव बृहस्पति ग्रह की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की शुरुआत मानी जाती है। यह अवधि लगभग 30 दिनों की होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दौरान सूर्य की गति धीमी हो जाती है और उनकी शक्ति कमजोर पड़ती है, जिससे शुभ कार्यों के लिए यह समय अनुकूल नहीं माना जाता। इसी कारण विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण और अन्य मांगलिक संस्कार इस महीने नहीं किए जाते।

सूर्य की स्थिति और ग्रहों का संतुलन

खरमास के दौरान सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में अपेक्षाकृत धीमी गति से भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि इस समय सूर्य के कमजोर होने से ग्रहों का संतुलन प्रभावित होता है। इसका असर जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों और नए कार्यों पर पड़ सकता है। इसी वजह से लोग इस अवधि में किसी भी नए शुभ या बड़े कार्य की शुरुआत करने से परहेज करते हैं, ताकि भविष्य में बाधाएं न आएं।

खरमास कब से कब तक

इस वर्ष सूर्य 16 दिसंबर को दोपहर 1:24 बजे देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश करेंगे, जिसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। वहीं 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ यह अवधि समाप्त होगी। धार्मिक गणना के अनुसार 15 जनवरी सुबह 6:05 बजे के बाद खरमास खत्म माना जाएगा और शुभ कार्य दोबारा शुरू किए जा सकेंगे।

खरमास में क्या करें?

हालांकि खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन यह समय पूजा-पाठ, दान और तपस्या के लिए बेहद शुभ माना गया है। बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए केसर, हल्दी, पीली दाल, पीले वस्त्र और केले जैसे पीले पदार्थों का दान किया जा सकता है। सूर्य देव की आराधना के लिए लाल वस्त्र, काले चने और अन्न दान करना लाभकारी माना जाता है।

तीर्थ यात्रा और धार्मिक आयोजन

खरमास में तीर्थ स्थानों की यात्रा करना भी शुभ फलदायी माना गया है। इस दौरान घर में भगवद गीता पाठ या सत्यनारायण कथा का आयोजन किया जा सकता है। अधिक से अधिक लोगों को इसमें शामिल करने से पुण्य फल बढ़ता है और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

इन कार्यों से करें परहेज

इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। साथ ही नया वाहन, घर या प्रॉपर्टी खरीदना और नया व्यवसाय शुरू करने से भी बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसे शुभ फलदायी नहीं माना जाता।

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खरमास क्या होता है?

जब सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तब लगभग एक महीने की अवधि को खरमास कहा जाता है।

खरमास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते?

मान्यता है कि इस दौरान सूर्य की शक्ति कमजोर होती है, जिससे ग्रहों का संतुलन प्रभावित होता है और शुभ कार्यों में बाधा आ सकती है।

इस साल खरमास कब से कब तक है?

खरमास 16 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी तक रहेगा और 15 जनवरी सुबह 6:05 बजे के बाद समाप्त माना जाएगा।

खरमास में कौन-कौन से काम किए जा सकते हैं?

इस दौरान पूजा-पाठ, व्रत, दान, जप-तप, तीर्थ यात्रा और धार्मिक कथाओं का आयोजन शुभ माना जाता है।