Jagannath Rath Yatra: जानिए क्यों रुष्ट हो गई थी मां लक्ष्मी, कैसे खाली हो गया था मंदिर का रत्न भंडार, रथ यात्रा पर पढ़ें ये पौराणिक कथा
Jagannath Rath Yatra: जानिए क्यों रुष्ट हो गई थी मां लक्ष्मी, कैसे खाली हो गया था मंदिर का रत्न भंडार, रथ यात्रा पर पढ़ें ये पौराणिक कथा

Jagannath Rath Yatra/ Image Credit: Freepik
- जगन्नाथ मंदिर में मां लक्ष्मी पूरे वैभव के साथ विराजती हैं।
- माता लक्ष्मी के जाने से खाली हो गया था मंदिर का रत्न भंडार।
- निम्न जाति की महिला था मां लक्ष्मी की भक्त।
- मां लक्ष्मी ने दिया था भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को श्राप।
नई दिल्ली। Jagannath Rath Yatra: ओडिशा के पुरी में बड़े ही धूम-धाम से विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी। जिसमें देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदुओं के चार धाम में से एक है। जहां हर साल लाखोंं की संख्या में लोग पहुंचते हैं। वहीं कल होने वाले जगन्नाथ रथ यात्रा के पहले आज बड़ी संख्या में श्रध्दालु मंदिर दर्शन करने पहुंच रहे हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को सुंदर वस्त्रों में सुसज्जित करके रथ यात्रा निकाली जाती है। इस साल पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून 2025 यानी कल है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि, इस दिन मां लक्ष्मी के रूठने से कैसे जगन्नाथ मंदिर खाली हो चुका था।
निम्न जाति की महिला था मां लक्ष्मी की भक्त
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ मंदिर में मां लक्ष्मी पूरे वैभव के साथ विराजती हैं जिसके कारण इस मंदिर का रत्न भंडार कभी खाली नहीं होता है। लेकिन, जब माता लक्ष्मी इस मंदिर से गई थी तो मंदिर का पूरा धन भंडार खाली हो गया था। कथा के अनुसार, बताया गया कि, पुरी में एक श्रिया नाम की निम्न जाति एक महिला रहती थी, जो कि माता लक्ष्मी की भक्त थी। हर समय में मां लक्ष्मी के ध्यान में मग्न रहती थी। मां लक्ष्मी की इतनी पूजा पाठ करने के बाद भी वह गरीब थी उसके पास कुछ नहीं था, लेकिन माता के प्रति उसकी आस्था मजबूत थी।
श्रिया के घर पहुंची मां लक्ष्मी
अपनी गरीबी से दुखी होकर एक दिन श्रिया ने मां लक्ष्मी के लिए अष्टलक्ष्मी का व्रत किया, लेकिन वह इस व्रत की विधि नहीं जानती थी। जिसके बाद नारद मुनि संत का रूप लेकर श्रिया के घर पहुंचे और उसे बताया कि, साफ-सफाई और सरल पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। जिसके बाद श्रिया ने ठीक वैसा ही किया जैसा की नारद मुनि ने बताया था। श्रिया ने उपवास रखकर माता की आरती की और खीर बनाकर भोग लगाया। उसी समय एक महिला घूंघट ओढ़े उसके घर आई और प्रसाद के बदले एक पोटली दी। जब घूंघट हटा तो वह स्वयं देवी लक्ष्मी थी। पोटली में हीरे-जवाहरात और सोना-चांदी निकले।
माता लक्ष्मी ने दिया था श्राप
Jagannath Rath Yatra: इसके बाद माता लक्ष्मी मंदिर में आई तो बलभद्र नाराज हो गए और उन्होंने लक्ष्मी को मंदिर से बाहर निकलने का आदेश दे दिया। जिसके बाद मां लक्ष्मी ने क्रोध में आकर भगवान जगन्नाथ और बलभद्र जी को ये श्राप दिया कि, जब तक ये किसी निम्न जाति वाले के हाथ से भोजन नहीं करेंगे तब तक उन्हें अन्न नहीं मिलेगा। वहीं माता लक्ष्मी के मंदिर से जाते ही पूरा रत्न भंडार खाली हो गया। अनाज के पात्र भी पूरे खाली हो गए। जिसके बाद भगवान जगन्नाथ और बलभद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने मां लक्ष्मी को मंदिर में वापस लौटने को कहा। जिसके बाद मां लक्ष्मी के वापस आते ही मंदिर की शोभा लौट आई। धन के भंडार पुन: भर गए। तब से लेकर आज तक कहा जाता है कि, जिस घर मां लक्ष्मी का वास होता है वहां कभी धन की कमी नहीं होती है।