Devshayani Ekadashi 2025: चार माह के लिए योगनिद्रा में जाएंगे भगवान विष्णु, नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य, जानें क्या है इसकी वजह

Devshayani Ekadashi 2025: चार माह के लिए योगनिद्रा में जाएंगे भगवान विष्णु, नहीं होगा कोई भी शुभ कार्य, जानें क्या है इसकी वजह

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  • Publish Date - July 4, 2025 / 09:42 AM IST,
    Updated On - July 4, 2025 / 09:42 AM IST

Devshayani Ekadashi 2025/Image Credit: IBC24 File

HIGHLIGHTS
  • 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
  • चार महीने के लिए योगनिद्रा में जाएंगे भगवान विष्णु।
  • इस दौरान भगवान शिव सृष्टि के संचालन का कार्यभार संभालेंगे ।

नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में हर महीने एकादशी पड़ती है जिसका अपना अलग महत्व होता है। ऐसे ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी के व्रत 6 जुलाई को रखा जाएगा। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह अवधि चातुर्मास कहलाती है, जिसका अर्थ है ‘चार मास’। तो चलिए जानते हैं की देवशयनी एकादशी का क्या महत्व है।

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क्या है देवशयनी एकदशी का महत्व

बता दें कि, आषाढ़ माह की एकादशी पर भगवान विष्णु के शयन करते हैं। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का शयनकाल प्रारम्भ हो जाता है इसलिए इसे देवशयनी एकादशी कहते हैं। भगवान विष्णु चार महीनों तक क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या शयन करते हैं और कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागतें हैं। यह चार महीने ‘चातुर्मास’ कहलाते हैं, इस दौरान शुभ काम जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि वर्जित माने जाते हैं। इस दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

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भगवान शिव संभालेंगे सृष्टि के संचालन का कार्यभार

Devshayani Ekadashi 2025: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के शयनकाल में जाने के बाद सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं, इसलिए चातुर्मास के चार महीनों में विशेषरूप से शिवजी की भी उपासना की जाती है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा के समय महामृत्युंजय मंत्र का जाप, कथा और ब्राह्मणों को भोजन कराने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।