Mahabharat : मृत्यु से पूर्व खून में लथपथ रणभूमि में पड़े कपटी दुर्योधन ने श्री कृष्णा को क्यों हवा में दिखायीं अपनी 3 उँगलियाँ ?
Why did the deceitful Duryodhana, lying soaked in blood on the battlefield, show his three fingers in the air to Shri Krishna before his death?
Mahabharat
Mahabharat : महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं। इसे भारत भी कहा जाता है। विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है।
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दुर्योधन को महाभारत में सबसे बड़ा खलनायक माना जाता था। दुर्योधन, राजा धृतराष्ट्र और उनकी रानी गांधारी का पुत्र था। दुर्योधन का जन्म भीम के जन्मदिन को ही हुआ था। दुर्योधन का स्वभाव हठी और दुष्ट था। दुर्योधन के अहं और अधर्मी स्वभाव की वजह से ही महाभारत का युद्ध हुआ था, जिसमें उन्होंने ३ ऐसी गलतियां कर दी जिसकी वजह से उन्हें खुद की ही जान गवानी पड़ी।
आईये जानते हैं दुर्योधन ने मृत्यु के समीप पहुंचते हुए श्री कृष्णा को क्यों दिखाई थीं 3 अंगुलियां ?
कुरुक्षेत्र की रणभूमि पर जब भीम ने दुर्योधन की जाघं तोड़ दी, तो खून से लथपथ रणभूमि पर पड़े दुर्योधन ने तीन अंगुलियां दिखाई। दुर्योधन को इस स्थिति में देखकर स्वंय श्रीकृष्ण ने दुर्योधन से 3 अंगुलियां दिखाने का मतलब पूछा था। इस पर दुर्योधन ने कहा कि इतने छल-कपट और योजनाएं बनाने के लिए बाद भी तीन गलतियां उस पर भारी पड़ गई थी।
Mahabharat : आईये जानते हैं क्या थी वो 3 गलतियां:
दुर्योधन की पहली गलती
1) दुर्योधन ने श्रीकृष्ण की जगह उनकी नारायणी सेना को चुना।
दुर्योधन का स्वाभाव बहुत अंहकारी था इसलिए वो अपने सामने किसी को भी कुछ नहीं समझता था। कलियुग में भी आपको अपने आसपास ऐसे लोग मिल जाएंगे, जो किसी चीज का ज्ञान नहीं रखते लेकिन स्वंय को सबसे बड़ा ज्ञानी समझते हैं। वे केवल अपने बड़बोलेपन और चिकनी-चुपड़ी बातों से खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाते हैं। दुर्योधन का स्वभाव भी कुछ ऐसा ही था कि तभी उसने श्रीकृष्ण की बजाय नारायणी सेना को चुना था क्योंकि उसे लगा था कि एक श्रीकृष्ण मुझे युद्ध कैसे जीता सकते हैं जबकि हजारों योद्धाओं से भरी नारायणी सेना उसकी शक्ति को बढ़ाएगी।
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दुर्योधन की दूसरी गलती
२) दुर्योधन ने माता गांधारी के सामने पेड़ के पत्तों का लंगोट पहना।
दुर्योधन की दूसरी सबसे बड़ी गलती थी कि उसने अपनी मां की बातों को हमेशा ही अनदेखा किया। जब दुर्योधन की मां गांधारी ने उसे नग्नावस्था में एकांत में आने को कहा था, जिससे कि वे अपने नेत्रों से निकलते तेज से दुर्योधन के शरीर को व्रज का बनाना चाहती थीं लेकिन अंतिम समय में किसी अन्य के कहने पर दुर्योधन ने अपनी मां के वचन को गंभीरता से नहीं लिया और पत्ते लपेटकर अपनी मां के सामने आ गया। जिससे दुर्योधन का शरीर पूरी तरह से व्रज का नहीं बन सका। इसका परिणाम यह हुआ कि भीम ने रणभूमि पर दुर्योधन की जांघ तोड़ दी।
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दुर्योधन की तीसरी गलती
३) दुर्योधन ने युद्ध में सबसे आखिर में भाग लिया
दुर्योधन की तीसरी गलती थी, अंत समय में युद्ध में जाने की। दुर्योधन ने अपने सभी योद्धाओं को रणभूमि में लड़ने के लिए आगे भेज दिया। दुर्योधन अगर सबसे पहले युद्ध में लड़ने के लिए आता, तो अंत में इस तरह अकेला नहीं पड़ता। दुर्योधन ने अपने खेमे के योद्धाओं की शक्तियों का प्रयोग ठीक प्रकार से नहीं किया। अंहकार में दुर्योधन ने हर योद्धा को बिना किसी रणनीति के रणभूमि पर भेज दिया।
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