Mangal ki Mahadasha
Mangal ki Mahadasha: मंगल की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशाओं के प्रभाव मिश्रित होते है और ये ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें जातक के जीवन पर मंगल और अन्य ग्रहों की स्थिति और प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है। विभिन्न अंतर्दशाओं के दौरान जातक को अलग-अलग प्रकार के परिणाम और अनुभव होते हैं।
शुभ ग्रह जैसे सूर्य, बृहस्पति, शुक्र के प्रभाव से धन, करियर और सफलता में वृद्धि होती है। वहीं, राहु, शनि या केतु जैसे अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा में धन हानि, स्वास्थ्य समस्याएँ, मानसिक तनाव, और संघर्ष जैसी नकारात्मक परिस्थितियाँ आ सकती हैं। इन प्रभावों को समझने के लिए, अंतर्दशा के स्वामी (चंद्रमा) की स्थिति, और शुभ-अशुभ प्रभावों का विश्लेषण किया जाता है।
मंगल अग्नि तत्व का ग्रह है, जो व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यदि मंगल मजबूत हो, तो करियर में उन्नति, संपत्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है, परन्तु यदि कुंडली में कमजोर हो तो झगडे, वाद-विवाद या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं भी ला सकता है। इस महादशा में, अंतर्दशाएं अन्य ग्रहों की होती हैं, जो मंगल की ऊर्जा को रूपांतरित करती हैं। ये अंतर्दशाएं जीवन में उथल-पुथल मचाती हैं, कभी सकारात्मक बदलाव के रूप में तो कभी चुनौतियों के रूप में। विशेष रूप से राहु, शनि और गुरु की अंतर्दशाएं प्रभावशाली होती हैं, क्योंकि ये ग्रह मंगल के साथ जटिल योग बनाते हैं।
मंगल की महादशा 7 साल तक रहती है, जो कि जो ऊर्जा, साहस, संघर्ष और परिवर्तन का प्रतीक है। इस दौरान 9 अंतर्दशाएं (उप-दशाएं) आती हैं, जो हर एक जीवन को पलटने की ताकत रखती है। इसमें इन ग्रहों की अंतर्दशाओं के दौरान जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं, ये प्रभाव कुंडली के आधार पर भिन्न हो सकते हैं जो व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
मंगल महादशा की अंतर्दशाएं क्रम में चलती हैं प्रत्येक की अवधि मंगल दशा के अनुपात में होती है। राहु ‘रहस्य’ लाता है, गुरु ‘मार्गदर्शन’, शनि ‘सबक’। इन बदलावों को समझकर व्यक्ति न केवल चुनौतियों से बच सकता है बल्कि जीवन में कठिनाईयों का सामना भी करता है
राहु अंतर्दशा (Rahu Antardasha)
मंगल महादशा में ‘राहु’ सबसे उत्तेजक अंतर्दशा है, जो लगभग 12.5 माह तक चलती है। राहु छाया ग्रह है, जो मंगल की ऊर्जा के साथ मिलकर यह ‘अग्नि-भ्रम’ योग बनाता है। जो व्यक्ति को भटकावपूर्ण बनाता है।
गुरु अंतर्दशा (Jupiter Antardasha)
गुरु (बृहस्पति) अंतर्दशा लगभग 11.5 माह तक चलती है। गुरु ज्ञान और मार्गदर्शन का ग्रह है, जो मंगल की ऊर्जा को दिशा देता है। यह मंगल के साथ मिलकर ‘गुरु-मंगल योग’ बनाता है, जो आध्यात्मिक और भौतिक विकास लाता है।
शनि अंतर्दशा (Saturn Antardasha)
शनि की अंतर्दशा लगभग 13 माह की होती है। शनि कर्म और अनुशासन का ग्रह है, जो मंगल की तेज ऊर्जा को काबू में रखती है। यह मंगल के साथ मिलकर ‘मंगल-शनि योग’ बनाता है, जो कठोर लेकिन लाभदायक होता है।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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