Purnima Vrat Kab hai 2025: 4 या 5 दिसंबर, कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? सरल पूजा विधि के साथ जान लें साल 2025 की अंतिम पूर्णिमा क्यों है ख़ास?
हिन्दू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन बेहद्द ख़ास माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण स्वरुप की आराधना का है जो सुख-समृद्धि के द्वार खोलता है। इस दिन किये हुए दान-पुण्य का बहुत महत्त्व होता है। आईये जानते हैं इस वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत कब रखा जायेगा?
Purnima Vrat Kab hai December 2025/Image Source: IBC24
- पूर्णिमा व्रत दिसंबर 2025: "वर्ष 2025 की अंतिम पूर्णिमा पर बना त्रिवेणी योग"!
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Purnima Vrat Kab hai 2025: हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथियां बहुत ही महत्वपूर्ण हैं परन्तु उनमें से मार्गशीर्ष पूर्णिमा सबसे ख़ास है। इस बार साल 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। जो न सिर्फ वर्ष 2025 की अंतिम पूर्णिमा है बल्कि सत्यनारायण व्रत, दत्तात्रेय जयंती और लक्ष्मी पूजन का अद्भुत संयोग है। 4 दिसंबर 2025 को चन्द्रमा न सिर्फ अपनी पूर्णिमा की आभा बिखेरेगा, बल्कि सुकून के साथ आत्मा को भी शांति प्रदान करेगा। यह दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की उपासना के लिए समर्पित है। इस पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ उनके स्वरूप भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा करनी चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि “सभी महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ”, इसलिए इस महीने का ख़ास महत्त्व है।
भगवान दत्तात्रेय जो (त्रिदेवों के संयुक्त) अवतार हैं इसी दिन अवतरित हुए थे, इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा दत्तात्रेय जयंती के रूप में भी जानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी क्षमतानुसार दान अवश्य दें, क्योंकि इस दिन दान का फल 32 गुना अधिक मिलता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत दिसंबर 2025: (Margashirsh Purnima Vrat December 2025)
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत साल 2025 का आखिरी पूर्णिमा है। 4 दिसंबर 2025 सुबह 8:37 बजे से शाम 4:35 बजे तक बना दुर्लभ संयोग!
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ: 4 दिसंबर 2025, सुबह 8:37 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 दिसंबर 2025, सुबह 4:43 बजे तक
दत्तात्रेय चंद्रोदय: शाम, 4:35 बजे
ब्रह्म मुहूर्त स्नान: सुबह 4:20 से 5:05 बजे
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:52 से 12:36 बजे तक
Purnima Vrat Kab hai 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 व्रत पूजा विधि
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और “ॐ नमो नारायणा” मंत्र का जाप करें।
- घर में सुख-समृद्धि के लिए भगवान श्री सत्यनारायण की कथा करें।
- पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा की किरणें बहुत ही पवित्र मानी जाती है, इसलिए चंद्रोदय के समय चन्द्रमा की पूजा करें।
- इस दिन दान का बहुत महत्त्व है अर्थात इस दिन अपनी क्षमतानुसार गरीबों यां ज़रूरतमंदों को आवश्य दान दें।
Disclaimer:- उपरोक्त लेख में उल्लेखित सभी जानकारियाँ प्रचलित मान्यताओं और धर्म ग्रंथों पर आधारित है। IBC24.in लेख में उल्लेखित किसी भी जानकारी की प्रामाणिकता का दावा नहीं करता है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पँहुचाना है।
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