Rudraksha should not be worn at these places : नई दिल्ली। रुद्राक्ष का अर्थ है – रूद्र का अक्ष , माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं।
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रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव अचूक , परन्तु यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ बिलकुल नहीं होता , बल्कि कभी कभी नुकसान भी हो सकता है। रुद्राक्ष को कभी भी इन स्थानों पर पहनकर नहीं जाना चाहिए।
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1. श्मशान : रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष को किसी भी रूप में धारण करके शमशान नहीं जाना चाहिए। जो शमशान के संत होते हैं वे रुद्राक्ष के नियमों का पालन करते हैं।
2. मृत्यु वाले घर : जहां पर किसी की मृत्यु हो गई हो वहां पर भी रुद्राक्ष पननकर न जाएं। यदि आपके घर में किसी परिजन की मृत्यु हो गई है तो रुद्राक्ष को उतारकर किसी उचित स्थान पर रख दें।
3. शौचालय या स्नानघर : टॉयलेट या बाथरूम में रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाते हैं। ऐसा करने से घोर पाप लगता है। यह शिवजी का अपमान माना जाएगा।
4. मांस मदिरा सेवन के समय : रुद्राक्ष पहकर कर मांस भक्षण करना या शराब पीना वर्जित है। इसी के साथ ही बूचड़खाने में जाना या किसी शराब की दुकान पर जाना भी वर्जित है। जहां पर मुर्गा, बकरा आदि कटना या बनता है उस स्थान से भी दूर रहें।
5. बालक के जन्म पर : जहां पर किसी बच्चे का जन्म हुआ हो और प्रसूता रहती हो वहां पर रुद्राक्ष पहनकर जाना वर्जित है। एक माह तक नियम का पानल करना चाहिए। ऐसी जगह पहनकर जाने से रुद्राक्ष निस्तेज हो जाता है।
6. शयन कक्ष : सोने से पहले रुद्राक्ष को उतारकर उचित स्थान पर रख देना चाहिए। सोने के दौरान जहां रुद्राक्ष के टूटने का अंदेशा रहता है वहीं इससे रुद्राक्ष अशुद्ध और निस्तेज हो जाता है।