Chandra Grahan 2025 Date| Photo Credit: IBC24 File Photo
नई दिल्ली। Chandra Grahan 2025: हिंदू ग्रंथो में चंद्र और सूर्य ग्रहण का काफी महत्व है। हर साल एक विशेष तिथि और माह को सूर्य और चंद्र ग्रहण लगते हैं। इस साल चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा है। एक महीने में दो ग्रहण लग रहे हैं। मार्च में जहां 14 तारीख को चंद्र ग्रहण तो वहीं 29 मार्च को सूर्य ग्रहण लगेगा। हर साल फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा की तिथि पर शाम के वक्त होलिका दहन होता है, वहीं इसके अगले दिन रंगोत्सव मनाया जाता है। इस दिन आसमान में लाल रंग का चांद दिखाई देगा, जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो तीन साल बाद हो रहा है। कहा जा रहा है कि, इस बार यह चंद्रग्रहण दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा।
बता दें कि, यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसका प्रभाव मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अफ्रीका के अधिकांश क्षेत्र के अलावा प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया और अंटार्कटिका पर पड़ेगा। चंद्र ग्रहण अमेरिका के न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और शिकागो, कनाडा के टोरंटो, वैंकूवर और मॉन्ट्रियल, मेक्सिको, ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, कोलंबिया, स्पेन, पुर्तगाल, फ्रांस, घाना, नाइजीरिया में सबसे अच्छा दिखेगा।
साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को सुबह 9 बजकर 27 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन दोपहर 3 बजकर 30 मिनट पर होगा। ध्यान रहे कि चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। चूंकि, यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
Chandra Grahan 2025: वहीं 14 मार्च 2025 को होली के दिन साल का पहला पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा, जो ब्लड मून (लाल चांद) के रूप में दिखाई देगा। यह घटना एक दुर्लभ खगोलीय संयोग है, जिसमें चंद्रमा का रंग लाल हो जाता है। इसे प्रकृति की सबसे दुर्लभ घटना में से एक माना जाता है। वहीं जब पृथ्वी की छाया सूर्य के प्रकाश को रोक लेती है, लेकिन वायुमंडल में मौजूद धूल, गैस और अन्य कणों की वजह से लाल किरणें चंद्रमा तक पहुंचती हैं, जिससे चंद्रमा लाल दिखाई देता है। इस घटना को ‘रेले स्कैटरिंग’ प्रभाव कहते हैं।
चंद्र ग्रहण का बहुत अधिक ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है की जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है। वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं,तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है,लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। इस घटना को ही चंद्र ग्रहण कहते हैं।
चन्द्र ग्रहण केवल रात्रि में ही होता है।
यदि आप चंद्रमा पर खड़े हों तो पृथ्वी आपके लिए सूर्य का दृश्य अवरुद्ध कर देगी।
औसतन हर वर्ष तीन चन्द्र ग्रहण होते हैं।
चंद्रमा लगभग 30 मिनट से एक घंटे तक अपने अधिकतम ग्रहण अवस्था में रहता है।
प्रत्येक चन्द्रग्रहण पृथ्वी के आधे भाग से या जहां भी चन्द्रमा क्षितिज से ऊपर होता है, वहां से दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण को सीधे देखना सुरक्षित है – किसी विशेष चश्मे की आवश्यकता नहीं है!