Ganadhipa Sankashti Chaturthi Vrat: कल है गणाधिप संकष्टी व्रत! गणेश जी की कृपा पाने के लिए जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्वपूर्ण उपाय

हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाता है। नवंबर में आने वाली इस चतुर्थी को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश को गणों के अधिपति के रूप में पूजकर विशेष फल और सुख की कामना की जाती है।

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  • Publish Date - November 7, 2025 / 04:12 PM IST,
    Updated On - November 7, 2025 / 04:16 PM IST

(Ganadhipa Sankashti Chaturthi Vrat, Image Credit: Meta AI)

HIGHLIGHTS
  • गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 8 नवम्बर 2025 को।
  • व्रत का समय: सुबह 07:32 AM से अगले दिन 04:25 AM तक।
  • व्रत से जीवन की कठिनाइयां कम और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Ganadhipa Sankashti Chaturthi Vrat: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली यह चतुर्थी विशेष महत्व रखती है और इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश को ‘गणों के अधिपति’ के रूप में पूजकर व्रत किया जाता है।

इस वर्ष की तिथि और समय

  • व्रत का दिन: 8 नवम्बर 2025, शनिवार
  • चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 08 नवम्बर 2025, 07:32 AM
  • चतुर्थी तिथि समाप्त: 09 नवम्बर 2025, 04:25 AM
  • चंद्र उदय का समय: 08 नवम्बर 2025, 07:59 PM

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
  • घर में भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • गणेश जी का जलाभिषेक करें और पीला चंदन लगाएं।
  • फूल, फल, दूर्वा और मोदक का भोग अर्पित करें।
  • ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें और संकष्टी कथा पढ़ें।
  • पूरा दिन व्रत रखें और शाम को चंद्रमा के उदय का इंतजार करें।
  • चंद्रमा निकलने के बाद जल अर्पित कर व्रत पारण करें।
  • पारण के बाद सात्विक भोजन या फलाहार करें।
  • अंत में गणेश जी से क्षमा प्रार्थना करें।

उपाय और विशेष मंत्र

  • व्रत के दिन गणेश चालीसा या संकटमोचन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
  • यदि संतान प्राप्ति की इच्छा हो तो दूर्वा अर्पित करते हुए कहें: ‘संतानप्राप्त्यर्थं नमः’।
  • आर्थिक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए गुड़ और चने का भोग लगाएं।
  • शाम को घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना शुभ फल देता है।

व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर उपवास और पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां कम होती हैं और सभी कार्य सफल होते हैं। इस दिन की साधना से विघ्नहर्ता गणेश जी प्रसन्न होते हैं। व्रत से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कब है?

यह व्रत 8 नवम्बर 2025, शनिवार को मनाया जाएगा।

व्रत का शुभ समय क्या है?

चतुर्थी तिथि सुबह 07:32 बजे शुरू और अगले दिन 04:25 बजे समाप्त होगी। चंद्र उदय का समय: 07:59 PM।

कौन-कौन पूजा में शामिल है?

गणेश जी का जलाभिषेक, फूल-फल, दूर्वा और मोदक का भोग। ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप।

व्रत का पारण कैसे किया जाता है?

शाम को चंद्रमा निकलने पर जल अर्पित करें और फिर सात्विक भोजन या फलाहार करें।

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