Varuthini Ekadashi 2025 date : वरुथिनी एकादशी का व्रत, दस हज़ार वर्षों तक की तपस्या का फल प्राप्त करने के बराबर है, जाने तिथि एवं व्रत कथा | Varuthini Ekadashi 2025 date

Varuthini Ekadashi 2025 date : वरुथिनी एकादशी का व्रत, दस हज़ार वर्षों तक की तपस्या का फल प्राप्त करने के बराबर है, जाने तिथि एवं व्रत कथा

The fast of Varuthini Ekadashi is equal to getting the fruits of penance of ten thousand years, know the date and fasting story

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Modified Date: April 21, 2025 / 02:11 PM IST
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Published Date: April 21, 2025 2:11 pm IST

Varuthini Ekadashi 2025 date :हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पद्मपुराण में भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं – वैशाख के कृष्णपक्ष की एकादशी वरूथिनी के नाम से प्रसिद्ध है। वैशाख माह की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार वरूथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल 2025 गुरुवार को रखा जाएगा। 25 अप्रैल सुबह 05:46 से 08:23 बजे के बीच व्रत का पारण यानी व्रत को खोलने का समय रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय दिन में 11:44 पर रहेगा। यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली है। वरूथिनी के व्रत से मनुष्य दस हजार वर्षो तक की तपस्या का फल प्राप्त कर लेता है। मनुष्य को इस पतित पावनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस एकादशी की रात्रि में जागरण करके भगवान मधुसूदन का पूजन करने से व्यक्ति सब पापों से मुक्त होकर परमगति को प्राप्त होता है। इस व्रत के माहात्म्य को पढने अथवा सुनने से भी पुण्य प्राप्त होता है। वरूथिनीएकादशी के अनुष्ठान से मनुष्य सब पापों से मुक्ति पाकर वैकुण्ठ में प्रतिष्ठित होता है। जो लोग एकादशी का व्रत करने में असमर्थ हों, वे इस तिथि में अन्न का सेवन कदापि न करें।

Varuthini Ekadashi 2025 date

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे राजेश्वर! वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है। इसकी महात्म्य कथा आपसे कहता हूँ..

Varuthini Ekadashi 2025 date : वरुथिनी एकादशी व्रत कथा!
प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करते थे। वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी थे। एक दिन जब वह जंगल में तपस्या कर रहे थे, तभी न जाने कहाँ से एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा। राजा पूर्ववत अपनी तपस्या में लीन रहे। कुछ देर बाद पैर चबाते-चबाते भालू राजा को घसीटकर पास के जंगल में ले गया।

राजा बहुत घबराया, मगर तापस धर्म अनुकूल उसने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की, करुण भाव से भगवान विष्णु को पुकारा। उसकी पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला।

Varuthini Ekadashi 2025 date

राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल हुए। उन्हें दुःखी देखकर भगवान विष्णु बोले: हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे। इस भालू ने तुम्हें जो काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध था।

भगवान की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता ने मथुरा जाकर श्रद्धापूर्वक वरूथिनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा शीघ्र ही पुन: सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग गये थे।

जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है उसे वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश होकर मोक्ष मिलता है।

Varuthini Ekadashi 2025 date : वरुथिनी एकादशी व्रत का फल
1. वरुथिनी एकादशी सौभाग्य देने, सब पापों को नष्ट करने तथा मोक्ष देने वाली है।
2. वरूथिनी एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य इस लोक में सुख भोगकर परलोक में स्वर्ग को प्राप्त होता है।
3. शास्त्रों में अन्नदान और कन्यादान को सबसे बड़ा दान माना गया है। वरुथिनी एकादशी के व्रत से अन्नदान तथा कन्यादान दोनों के बराबर फल मिलता है।
4. वरुथिनी एकादशी का फल दस हजार वर्ष तक तप करने के बराबर होता है।
5. कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण के समय एक मन स्वर्णदान करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल वरुथिनी एकादशी के व्रत करने से मिलता है।
6. इस व्रत के महात्म्य को पढ़ने से एक हजार गोदान का फल मिलता है। इसका फल गंगा स्नान के फल से भी अधिक है।

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