Vastu Tips For Wealth: इन उपायों से अपने भाग्य को करें प्रबल, ऐश्वर्य और खुशियों से भर जाएगा घर परिवार

Vastu Tips For Wealth: इन उपायों से अपने भाग्य को करें प्रबल, ऐश्वर्य और खुशियों से भर जाएगा घर परिवार

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  • Publish Date - February 21, 2023 / 07:57 AM IST,
    Updated On - February 21, 2023 / 07:57 AM IST

Jyeshta month 2023

धर्म। Vastu Tips For Wealth : भाग्यम् फलति सर्वत्र – करें भाग्य भाव को प्रबल – भाग्यम् फलति सर्वत्र, न च विद्या, न च पौरुषम् : अर्थात् भाग्य ही व्यक्ति को वांछित फल प्रदान करता है। विद्या और पौरुष, अर्थात् ज्ञान और उद्यम निष्कल हो जाते हैं। भाग्य के महत्त्व को उद्यमी पुरुष भी तब स्वीकार करने के लिए विवश हो जाता है, जब बार-बार उद्यम करने पर भी उसे असफलता प्राप्त होती है तथा सक्षम होने के उपरान्त भी बारम्बार निराशा ही प्राप्त होती है। ग्रहों की गणना के अनुसार आज शतभिषा नक्षत्र में कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है। भाग्यशाली व्यक्ति अल्प समय में ही बिना अधिक उद्यम के सफलता के शिखर तक पहुंच जाता है और ऐसा इसलिए होता है कि उपयुक्त अवसर पर लाभ उठाने की बुद्धि, उसे भाग्य प्रदान कर देता है। भाग्य का निर्माण पूर्वजन्म के पुण्य प्रताप का प्रतिफल है। इस सन्दर्भ में एक श्लोक है फलति नैवकुलं न शीलम्, विद्याउपि न वा, न च यत्नकुतापि सेवा..

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भान्यानि पूर्वतपसा खलु सचितानि, काले फलन्ति पुरुषस्य ययैव वृक्षाः

अर्थात् आकृति, कुल, शील, विद्या और यत्न से की गयी सेवा भी फलवती नहीं होती, बल्कि निश्चित रूप से, पूर्व जन्म की तपस्या का जो संचित भाग्य है वही, समय पाकर फलीभूत होता है जैसे वृक्ष, समय आने पर, स्वत: फलवान् हो जाते है। ब्रह्मा द्धारा निर्मित भाग्य के बिना सब कुछ अधन्य है। इसलिए व्यक्तियों के नवम भाव (भाग्य) पर विचार करना चाहिए। भाग्य भाव अर्थात् नवम भाव से नवम स्थान पंचम होता है और पंचम स्थान से भी भाग्य के बलाबल का ज्ञान होता है। पंचम स्थान से नवम भाव को लग्न भाव या प्रथम भाव कहते हैं। अतः नवम भाव, लग्न भाव और पंचम भाव पूर्व पुण्य से संदर्भित होते हैं। पूर्व पुण्य के फलस्वरूप संतति सुख प्राप्त होता है इसीलिए पंचम भाव से संतान विचार करते हैं। पंचम, नवम एवं लग्न के निर्बल होने पर व्यक्ति के पास सीमित धन ही अर्जित एवं संचित होता है। द्वितीय भाव एवं एकादश भाव के साथ-साथ यदि तीनों त्रिकोण अर्थात् लग्न, पंचम तथा नवम भाव बली हों, उनमें परस्पर सम्बन्ध हो, उनके स्वामियों में परस्पर परिवर्तन योग अथवा अनुकूल हो तो अगाध धन, ऐश्वर्य, सफलता, समृद्धि ज्ञान और सुख स्वयं उपलब्ध होता है।

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Vastu Tips For Wealth: यदि लग्नेश, पंचमेश या नवमेश, लग्न, चतुर्थ, दशम भाव या पंचम अथवा नवम भाव में संयुक्त रूप से संस्थित हों, तो व्यक्ति वैभवशाली होता है। इसके विपरीत इन स्थानों के स्वामी विपरीत अथवा प्रतिकूल हों तो भाग्यभाव कमजोर होने से व्यक्ति को अनावश्यक संघर्ष का सामना करना पड़ता है। अतः किसी को भी भाग्य भाव को अनुकूल तथा मजबूत करने हेतु दान, पुण्य करना चाहिए। भाग्य भाव का स्वामी ग्रह गुरु होता है अत: इसे प्रबल करने के लिए व्यवहार में गुरु का भाव होना चाहिए, अनुकूल असर बढाने के लिए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए, पीले वस्त्र दान करना चाहिए, बेसन से बनी मिठाइयाँ प्रसाद में बाटना चाहिए इसके साथ ही पुस्तको का विशेषकर धार्मिक पुस्तको का दान करना चाहिए. इससे भाग्य भाव प्रबल होता है.

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