Publish Date - May 26, 2025 / 06:35 AM IST,
Updated On - May 26, 2025 / 06:41 AM IST
Vat Savitri Vrat 2025/Image Credit: Pexels
HIGHLIGHTS
आज वट सावित्री व्रत पर बना सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग
26 मई दिन सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा
सुबह 11 बजकर 51 मिनट से 3 बजे तक का मुहूर्त पूजा के लिए शुभ
Vat Savitri Vrat 2025: आज 26 मई दिन सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। खास बात यह हा कि, आज सोमवती अमावस्या का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। ऐसे में आज का दिन मेष, कर्क, कन्या और धनु राशि वालों के लिए बेहद खास माना जा रहा है। आज के दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। कहा जाता है कि वट वृक्ष के नीचे ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए थे। इस व्रत के प्रभाव से पति की लंबी आयु के साथ-साथ वैवाहिक जीवन में भी सुख समृद्धि आती है। ऐसे में आइए जानते हैं, आज का शुभ महूर्त और पूजा विधि..
बता दें कि, अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी और इसका समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल वट सावित्री का यह वत्र 26 मई को रखा जाएगा। बात करें पूजा की तो वट सावित्री व्रत की पूजा अभिजीत मुहूर्त में करना बेहद शुभ माना जाता है। सुबह 11 बजकर 51 मिनट से 3 बजे तक का मुहूर्त शुरू होगा जो बेहद शुभ है। इस मुहूर्त में आप वट वृक्ष की पूजा कर सकते हैं।
वट सावित्री पूजा विधि (Vat Savitri Vrat 2025 Puja Vidhi)
सबसे पहले सुबह स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
इसके बाद वट वृक्ष के नीचे जाकर पूजा की सामग्री रखें।
वट सावित्री व्रत 26 मई 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा। अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12:11 बजे से हो रही है और इसका समापन 27 मई को सुबह 8:31 बजे होगा।
वट सावित्री व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:51 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक रहेगा। यह समय वट वृक्ष की पूजा के लिए विशेष शुभ माना जाता है।
वट सावित्री व्रत किस देवता को समर्पित होता है और इसका महत्व क्या है?
यह व्रत वट वृक्ष (बड़ का पेड़) और सावित्री-सत्यवान की कथा पर आधारित है। महिलाएँ इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम, निष्ठा और तपस्या का प्रतीक है।