Mauni Amavasya 2025 Date : कब है मौनी अमावस्या? महिलाएं रखती हैं मौन व्रत, जानें इसका महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त

Mauni Amavasya 2025 : मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।

Mauni Amavasya 2025 Date : कब है मौनी अमावस्या? महिलाएं रखती हैं मौन व्रत, जानें इसका महत्व और पूजन का शुभ मुहूर्त

Mauni Amavasya 2025 Date | Source : File Photo

Modified Date: January 20, 2025 / 11:22 am IST
Published Date: January 20, 2025 11:21 am IST

Mauni Amavasya 2025 Date : मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा, और इसी दिन महाकुंभ मेले में दूसरा अमृत स्नान भी होगा। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है।

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बता दें कि मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान, दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या पर स्नान या दान करने से उसका दोगुना फल प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या पर स्नान-दान करने से व्यक्ति को सभी पापों से छुटकारा मिलता है और पितृ दोष की समस्या से भी मुक्ति मिलती है।

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कब है मौनी अमावस्या?

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा।

शाही स्नान का मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 25 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक।

प्रातः सन्ध्या- 29 जनवरी को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक।

मौनी अमावस्या से जुड़ी पौराणिक कथा

मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का विशेष महत्व पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं। गंगा और अन्य नदियों के स्नान की पवित्रता का संबंध समुद्र मंथन की कथा से है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो समुद्र से भगवान धनवंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। इस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष शुरू हो गया। छीना-झपटी के दौरान अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिर पड़ीं।

अमृत की ये बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक की पवित्र नदियों में गिरीं, जिससे ये नदियां अमृतमयी और अत्यंत पवित्र मानी जाने लगीं। इसी कारण से पर्व-त्योहार, पूर्णिमा, अमावस्या और विशेष तिथियों पर इन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। खासतौर पर मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान को अत्यधिक पुण्यदायी और मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है।

मौनी अमावस्या पर मौन व्रत का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों और अन्य व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मौन व्रत रखने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति का आध्यात्मिक कार्यों में मन लगता है। इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मौन व्रत के दौरान व्यक्ति अपने विचारों और वाणी पर संयम रखता है। इससे ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है और व्यक्ति आध्यात्मिक विकास की ओर आगे बढ़ता है।

यही नहीं, मौन व्रत रखने से वाणी शुद्ध होती है। साधक को मानसिक शांति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने से सामाजिक पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है और वाणी में मधुरता आती है। हालांकि, मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान के बाद ही पूरे दिन मौन व्रत किया जाता है और दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। अमावस्या तिथि समाप्त होने के बाद मौन व्रत पूर्ण होता है।


सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नः

लेखक के बारे में

Shyam Bihari Dwivedi, Content Writter in IBC24 Bhopal, DOB- 12-04-2000 Collage- RDVV Jabalpur Degree- BA Mass Communication Exprince- 5 Years