Twist In UP Politics
लखनऊ : Twist In UP Politics : बीजेपी की हमेशा से पसंदीदा टैगलाइन रही है रामराज और गुड गवर्नेंस। बीजेपी इसी वादे के साथ कई बार सत्ता में आई है, लेकिन अब इसी की एक अहम कड़ी ब्यूरोक्रेसी पर बीजेपी नेताओं की ही टेड़ी नजर हो गई है। हम दरअसल बात कर रहे हैं। MP के पूर्व बीजेपी सांसद रघुनंदन शर्मा और UP में पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह की। इन दोनों नेताओं ने पिछले दो दिनों के दौरान अपनी भी भाजपा शासित सरकरों की ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधा है।जिसने यूपी और एमपी की बीजेपी सरकारों को ही नहीं बल्कि बीजेपी संगठन को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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Twist In UP Politics : यूपी के पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप उर्फ मोती सिंह का ये तंज योगी सरकार के खिलाफ है। जिसकी वीडियो क्लीप यूपी में खूब वायरल हो रही है। इसकी वजह भी है। लोकसभा चुनाव में पार्टी के औसत प्रदर्शन के बाद हाशिए में पड़े किसी बीजेपी नेता ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। पार्टी के खबर प्रदर्शन की कई वजह हो सकती है। लेकन इसे भी एक बड़ी वजह माना जा सकता है।
बीजेपी के अंदर से उठी नाराजगी की इस आवाज ने सपा को योगी सरकार पर हमले का मौका दे दिया है। सपा चीफ अखिलेश यादव ने X अकाउंट पर इस वीडियो को शेयर करते हुए पोस्ट किया।
‘भाजपा राज में ‘तहसील और थाने के अभूतपूर्व रिकॉर्ड तोड़ भ्रष्टाचार’ पर भाजपा के लोग ही जब प्रमाणपत्र बांट रहे हैं तो क्या इस अकल्पनीय ‘भाजपाई भ्रष्टाचार’ पर कार्रवाई करने के लिए और कुछ सबूत चाहिए? अब देखते हैं बुलडोज़र किस ओर मुड़ता है।’
वीओ- बात सिर्फ UP की नहीं है। एक दिन पहले ही राज्यसभा से पूर्व बीजेपी सांसद रघुनंदन शर्मा ने मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव के सामने प्रशासन में फैले भ्रष्टाचार को लेकर खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्हें सत्ता के दलाल तक कह दिया था और बाहर करने की सीएम मोहन यादव से अपेक्षा की थी।
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Twist In UP Politics : रघुनंदन शर्मा की इस बेबाकी ने बीजेपी के लिए जहां परेशानी बढ़ा दी। वहीं कांग्रेस को हमले का मौका दे दिया। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधा कि ये अकेले रघुनंदन शर्मा जी की पीड़ा नहीं है बल्कि हर BJP कार्यकर्ता की पीड़ा है। अधिकारी निरंकुश हो गए हैं।
बीजेपी नेताओं के अपनी ही सरकार की ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साधने को सियासत के जानकार कई मायने निकाल रहे है। क्या ये हाशिए पर पड़े बीजेपी नेताओं की टीस है या फिर सरकार को सचेत करने की कोशिश कारण चाहे जो हो। विपक्ष की ओर से उठती ऐसी आवाज को आमतौर पर सत्ता पक्ष ज्यादा भाव नहीं देता। लेकिन अपनी ही पार्टी के बड़े नेता जब ऐसी बात कहे तो उसे बीजेपी संगठन और सरकार हल्के में नहीं लेना चाहेगी।