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रायपुर: चुनावी संग्राम जीतने के लिए सियासी दल पूरी ताकत झोंक देते हैं। प्रत्याशी इसके लिए चुनाव प्रचार में बड़ी रकम भी खर्च करते हैं, लेकिन निर्वाचन आयोग इसकी सीमा निर्धारित करता है और चुनाव खर्च पर नजर भी रखता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर भी आयोग ने सीमा तय कर दी है। इसके मुताबिक ही उम्मीदवार अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देंगे।
जी हां, निर्वाचन आयोग ने हर सीट पर प्रत्याशी के अलग-अलग खर्च की दर तय कर दी है। जारी लिस्ट के मुताबिक एक उम्मीदवार 5 पूड़ी और सब्जी के लिए 40 रुपये प्रति प्लेट और एक समोसा और एक कप चाय के लिए 10-10 रुपये तक खर्च कर सकता है। इसी तरह उम्मीदवार प्रचार और सभा के दौरान फूलों की माला 15 रुपए से लेकर 900 रु प्रति नग की दर तक ले सकते हैं। प्रचार के दौरान अधिकतम 11 बैंड बाजा वाले प्रति दिन 8200 रुपए की दर से बुलाए जा सकते हैं। वहीं, नाचा पार्टी 9 हजार 5 सौ रुपए की दिहाड़ी पर बुलाई जा सकती है। मिनरल वाटर की एक लीटर की बोतल 15 रुपए 50 पैसे और पाउच 80 पैसे की दर से जोड़ा जाएगा।
निर्वाचन आयोग ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए एक प्रत्याशी के खर्च की सीमा 40 लाख रुपए तय की है। वाहनों के इस्तेमाल में होने वाला खर्च भी चुनावी खर्च में जोड़ा जाता है। सामान्य वाहन 800 रुपए और लग्जरी वाहन 5 हजार रु प्रति दिन किराए पर लिए जा सकते हैं। चुनाव प्रचार में इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर का किराया, रुकने के लिए होटल रूम का किराया, जेनरेटर खर्च, ट्यूबलाइट, बाल्टी, झाड़ू जैसी सामग्री का हिसाब भी प्रत्याशी के खर्च में जोड़ा जाएगा। 2018 की तुलना में इस बार 20 से 25 प्रतिशत रेट बढ़ाकर तय किए गए हैं।वर्चुअल, डिजिटल और सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार अभियान के खर्च को भी चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा। निर्वाचन अधिकारी के मुताबिक सभी नियम सख्ती से पालन कराए जाएंगे।
चुनाव प्रचार के दौरान कार्यकर्ताओं की संख्या भी सीमित होगी.. खर्च भी सीमा में करना होगा। ऐसे में हर प्रत्याशी के सामने चुनाव जीतने की चुनौती भी है तो वहीं चुनाव अयोग के नियमों का दायरा भी। यानी हर उम्मीदवार को खुद को साबित करने के लिए दोहरी चुनौती से जूझना होगा।