#SarkarOnIBC24 : Puri Sankaracharya ने हिंदू राष्ट्र को लेकर दिया बड़ा बयान, भारत स्वयं को हिंदू राष्ट्र घोषित करे

Puri Shankaracharya Statement : पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज रायपुर में हैं। इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान

#SarkarOnIBC24 : Puri Sankaracharya ने हिंदू राष्ट्र को लेकर दिया बड़ा बयान, भारत स्वयं को हिंदू राष्ट्र घोषित करे

Puri Shankaracharya Statement

Modified Date: September 24, 2024 / 11:28 pm IST
Published Date: September 24, 2024 11:28 pm IST

रायपुर : Puri Shankaracharya Statement : पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज रायपुर में हैं। इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर खुलकर अपना पक्ष रखा। तिरुपति माला मंदिर में प्रसादम् विवाद पर उन्होंने सरकार पर धार्मिक क्षेत्रों को छल-बल से हथियाने का आरोप लगाया और धर्मांतरण और गौहत्या बंद कराने की अपील की और हिंदू राष्ट्र को लेकर पुरी शंकराचार्य ने एक बार फिर आवाज बुलंद की।

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पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी निश्चलानांद सरस्वति महाराज के प्रेस कांफ्रेस

तिरुपतिमाला मंदिर के प्रसाद विवाद पर बात करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि, धार्मिक और अद्यात्मिक क्षेत्र में छल,बल से शासन ने अपने हाथ में ले लिया, इसके कारण इसकी दिशाहीनता हो गई। सत्ता लोलुपता और अदूरदर्शिताकी चपेट में आने के कारण राजनीति और राजनेता दिशाहीन है, उसी का फल है। सोधन की प्रक्रिया पंडितों ने अपने तरीके से निभाई है। शास्त्रीय विधाता के अऩुसार अपवित्र वस्तु का प्रयोग न भी हो तो भी अयोग्य लोगों का प्रवेश तो हो ही रहा है। पर्यटन का क्षेत्र बना दिया गया है. यह भी दिशाहीनता है। इसका पुरातन होना ही चाहिए। जो अराजक तत्व हैं, सभी क्षेत्र में प्रविष्ट हो चुके हैं। दिशाहीन व्यापारी, धार्मिक और अध्यात्मिक क्षेत्र में भी प्रविष्ठ हो चुके हैं। जितनी तारक सामग्री को मारक सामग्री बना दिया। राजनेताओ में शआसन की क्षमता नहीं रह गई। देशी विदेशी कंपनियों को सिर्फ ठेका दे रही है। यही कंपनी देश विदेश को चला रही है। कालांतर में यह क्षमता भी नहीं रह जाएगी। पूरा विश्व दिशाहीन व्यापार का तंत्र बन जाएगा।

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धर्मांतरण को कैसे रोका जाए

Puri Shankaracharya Statement : यह धर्म च्युति है, धर्म स्खलन है. लोभ, भय से लोग सनातन का त्याग कर रहे हैं। एक हिंदू परिवार से एक रुपया, एक घंटा नित्य निकले। मठ मंदिर का केंद्र बनाकर सबको संबल बनाने का काम है, तो धर्मांतरण करने वाले की दाल नहीं गलेगी। पेट और परिवार तक सीमित रहेंगे, तो लोग धर्म से च्युत होंगे ही।

गौ माता का संरक्षण कैसे हो

कल कारखाने के नाम पर, महानगर के नाम पर, विकास के नाम पर गोचर भूमि का विलोप कर दिया गया। हल क माध्यम से खेती नहीं होती। ट्रैक्टर से होती है। विकास के नाम पर ऐसा प्रयास के चलते विनाश पैदा कर रहा है। शासन तंत्र सनातन शास्त्र के अनुसार विकास को परिभाषित नहीं करेगा, तब तक ऐसा होता रहेगा।

मोदी जब गुजरात के सीएम थे तब उन्होंने मनमोहन सिंह को कहा था, गौ हत्या बंद कर देना चाहिए। पीएम पद पर आप हैं। इसे बंद कर दीजिए। मनमोहन सिंह ऐसा क्यों करते हैं। जो पीएम होते हैं, वह क्रिश्चियन और मुसलमान तंत्र की दासता पालते ही हैं। इसके बगैर वो भारत के पीएम पद को निर्वाह नहीं कर सकते हैं। 11 सालों से मोदी इस कलंक को पाले हुए हैं। गो रक्षक को गुंडों कहा था। मुस्लिम और इसाई को गोमांस खाने की खुली छूट दी गई। यहां तक कि विदेश भी गोवंश को भेजने की बात कही, ताकि उन्हे ताजा मांस मिल सके। स्वास्थ क्रांति की आवश्यकता है। एक जिला में पांच विभाग हो। पूर्व पश्चिम, उत्तर दक्षिण, मध्य. सभी में 25 एकड़ की जमीन गोचर भूमि हो तभी गोवंश बच सकेंगे।

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प्रदीप मिश्रा ने कहा, बलात्कारियों को जिंदा जलाना चाहिए, क्या कहेंगे

Puri Shankaracharya Statement : हाथी से हल नहीं जुतवाया जाता. कथावाचक की आलोचना शंकराचार्य से आलोचना करना उचित नहीं। ऐसा करने वालों से पूछिए, हम छोटो मोटे कथावाचक, मनचले लोगों की आलोचना करें, उचित नहीं हैं। आप खुद भी मान रहे हैं कि उन्होंने गलत कहा है। हम वृंदावन में थे, भंडारे में भोजन करने नहीं जाते थे। वेद विद्यालय की छत पर टहल रहा था। एक सज्जन ने भंडारा किया था। हलवाई लोग पुरी आटा को अपने मुंह लगातर जूठा कर रहे थे। उनकी नीयत थी कि उनका जूठन पहुंच जाए। वृंदावन में टंकी साफ करने वाले ने टंकी में पेशाब किया, ताकि सबको अपवत्रि पिलाया जा सके।

कब तक प्रसाद, मंदिर अपवित्र होते रहेंगे

सपाई हिंदू, बसपाई हींदू, कांग्रेसी हिंदू, भाजपाई हिंदू.. इन राजनीतिक दलों की चपेट से बचे कितने हिंदू हैं। सत्ता लोलपुता, अदूरदर्शिता राजनीति का पर्याय है। राजनीति वह है जो सुसंस्कृति, सुशिक्षित, सुरक्षति, संपन्ना, सेवा परायण, स्वस्थ, वेदादि शास्त्र संगत ही राजनीति की परिभाषा है। इसी आधार पर राजनीतिक को कसना चाहिए विसंगित की पराकाष्ठा के गर्भ से ही स्वस्थ क्रांति निकलती हैं। कोई राजनेता ये नहीं समक्षे की उनकी उच्छृंखलता अधिक दिनों तक चलती रहेगी। हमलोग का ध्यान इन गतिविधियों पर हैं। स्वसाथ क्रांति अपेक्षित है। इसके लिए क्रियाकलाप संचालित हैं। संत में कितने रह गए जो किसी राजनीति के गुप्त या प्रकट प्रचारक नहीं रह गए। अब तो कोई मर्यादा ही नहीं रह गई कि कोई संत वेश धारण करे या नहीं। नेहरु ने परंपरा प्राप्त संत महात्मा को दिशाहीन करने के लिए भारत साधु समाज की स्थापना कराई, करपात्री महाराज के विरोध में, सनातन सिद्धांत के विरोध में। जो इस समाज के सदस्य बन जाते थे, उनके लिए रेल यात्रा के लिए पास दिए गए। गीता प्रेस के संपादक भी उसमें बह गए। कांग्रेस की नीति का अनुगमन कर धर्म संसद की स्थापना करा दी। जगतगुरु की भरमार हैं। अंग्रेजों के समय किसी ने जगदगुरु लिख लिया, तब अंग्रेज इसे खारिज कर दिया। व्यास पीठ अधीन हो, प्रथम पीएम से लेकर अब तक के पीएम की भावना यही है।

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कब तक बनेगा हिंदु राष्ट्र

Puri Shankaracharya Statement : हम उस अभियान में लगे हैं, विश्व में 204 देश है. 54-55 देशों में हिंदू रहते हैं। मॉरिशस पीएम ने कहा था हम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब भारत स्वय को हिंदू राष्ट घोषित करे। उसके एक साल में 10-12 देश हिंदू राष्ट्र हो जाएंगे। आजकल के विज्ञान को भी हजारों साल तक दिशा देने की क्षमता हमारे धर्म में हैं। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए भगवान अवतार होते हैं। मेरी बातों का खंडन मुस्लिम, क्रिश्चयन और वामपंथी भी नहीं करते। इससे सिद्ध है कि सनातन धर्म विजयी हैं। आज भी विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित है। मेरी बातों का खंडन कौन करता है।

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