Sarkar On IBC24: मध्यप्रदेश में तीन महीने बाद चुनाव होने हैं। बीजेपी जनता से आशीर्वाद मांगने विजय रथ पर सवार होकर प्रदेश के 5 अंचलों में निकल चुकी है। जबकि कांग्रेस अब भी टेबल एक्सरसाइज़ में बुरी तरह उलझी हुई है। कांग्रेस फिलहाल अपने आखिरी सर्वे रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। अंदरखाने के लोग बता रहे हैं कि कांग्रेस का आखिरी सर्वे जीत के लिहाज़ से निर्णायक होगा। जो पूरी बाजी पलट देगा…देखिए रिपोर्ट
टिकट फाइनल करने के लिए भोपाल में पिछले 3 दिन से कसरत कर रही कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी दिल्ली लौट गई. अब 12 सितंबर को दिल्ली में कांग्रेस इलेक्शन कमेटी की बैठक होगी..स्क्रीनिंग कमेटी अपनी सिफारिश सेंट्रल इलेक्शन कमेटी को भेजेगी..और कयास ये लग रहा है कि 17 सितंबर को होने वाली सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक के बाद कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी हो जाएगी..पहली सूची उन सीटों की होगी जिनमें सिंगल नाम हैं और कोई पेंच नहीं है.. इस बीच कांग्रेस एक बार फिर सर्वे करवा रही है..ये सर्वे कांग्रेस की रणनीति के लिहाज़ से निर्णायक होगा. सर्वे में कांग्रेस बीजेपी सरकार की लाडली बहना योजना, तीर्थ दर्शन योजना,महाकाल लोक से लेकर रामराजा लोक का जनता में असर की पड़ताल करेगी..न सिर्फ सरकारी योजनाओं का असर बल्कि बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके नेताओं के सियासी रसूख को सर्वे के जरिए खंगाला जा रहा है.
कांग्रेस को आखिरी सर्वे की ज़रुरत इसलिए भी पड़ी क्योंकि बीजेपी से अब तक कांग्रेस में 32 बड़े नेता शामिल हो चुके हैं.. इनमें एक सिटिंग MLA है, ज्यादातर पूर्व विधायक हैं.. कुछ पूर्व मंत्री भी हैं जो अपने क्षेत्र में बड़ा प्रभाव रखते हैं. कांग्रेस की कोशिश ये भी है कि आखिरी सर्वे के बहाने बीजेपी से कांग्रेस में आने वाले नेताओं की वजह से कांग्रेस के जनाधार पर कितना असर पड़ेगा इसकी भी तस्दीक कर ली जाए…माना जा रहा है कि आखिरी सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद बची हुई सभी सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान हो जाएगा. इधर सत्ता पक्ष का कहना है कि कांग्रेस कितने भी सर्वे करवा ले बीजेपी की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा..
कांग्रेस 6 महीने पहले से दावा कर रही कि हारी हुई 66 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हो जाएगा. लेकिन उससे पहले बीजेपी हारी हुई 39 सीटों पर कैंडिडेट के नाम ऐलान कर चुकी है..जबकि कांग्रेस सिर्फ टेबल एक्सरसाइज और सर्वे के जाल में उलझी है. तो क्या टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में खींचतान मची है इसलिए कांग्रेस की लीडरशिप फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती..