Bangladesh Political Crisis
नई दिल्ली : Bangladesh Political Crisis : शेख हसीना के परिवार का तख्तापलट से पुराना रिश्ता रहा है। उनके पिता जब बाग्लादेश के पीएम थे, तब भी सेना ने तख्तापलट किया था। चलिए आपको बताते हैं कि तख्तापलट किया में पूरे परिवार के कत्ल हो जाने के बाद भी शेख हसीना के अकेले कैसे बच गई थीं।
Bangladesh Political Crisis : साल 1975 में शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री थे, तब देश की सेना ने बगावत कर दी और उनके पूरे परिवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। कुछ हथियारबंद लड़ाके शेख हसीना के घर में घुसे और उनके माता-पिता और भाईयों की क्रूरता से हत्या कर दी। हालांकि, इस हमले में शेख हसीना और उनकी बहन बच गईं।
दरअसल, जब बांग्लादेश में ये सब कुछ हो रहा था तब शेख हसीना अपने पति वाजिद मियां और छोटी बहन शेख रेहाना के साथ यूरोप में थीं। इसके बाद शेख हसीना कुछ समय तक जर्मनी में रहीं और फिर भारत आ गईं। तब भारत की इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें शरण दी और कुछ वर्षों तक वो भारत में ही रहीं।1981 में शेख हसीना अपने देश बांग्लादेश वापिस लौटीं। जहां उनके समर्थन में लाखों लोग एयरपोर्ट पर पहुंच गए।
Bangladesh Political Crisis : उन्होंने पूरे देश में अपने समर्थन में लोगों को खड़ा किया और 1986 का आम चुनाव लड़ा। हालांकि, वो हार गईं क्योंकि चुनाव में सेना का दखल बहुत ज्यादा था। लेकिन, 1996 में स्वतंत्र रूप से हुए चुनाव में शेख हसीना की पार्टी जीत गई और शेख हसीना ने पीएम का पद संभाला। 2001 का चुनाव फिर से शेख हसीना हार गईं। लेकिन 2009 में जब वो बांग्लादेश की पीएम बनीं तो तब से अब तक लगातार उनकी ही सरकार देश में रही।