ओलंपिक पदक के लिये मानसिक संतुलन की सीख ले रही है तीरंदाज दीपिका

ओलंपिक पदक के लिये मानसिक संतुलन की सीख ले रही है तीरंदाज दीपिका

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  • Publish Date - April 20, 2021 / 11:11 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 09:00 PM IST

कोलकाता, 20 अप्रैल (भाषा) अपने तीसरे ओलंपिक खेलों में भाग लेने की तैयारियों में जुटी भारत की नंबर एक महिला तीरंदाज दीपिका कुमारी इस खेल में ओलंपिक पदक का इंतजार समाप्त करने के लिये अपने खेल के मानसिक पहलू पर भी काम कर रही है।

दीपिका ने 15 साल की उम्र में 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीता था। तीरंदाजी विश्व कप में उन्होंने पांच पदक जीते हैं और इसके अलावा कई अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी पदक हासि​ल किये हैं लेकिन वह अब तक ओलंपिक पदक हासिल करने में नाकाम रही है।

दीपिका ने ग्वाटेमाला सिटी में विश्व कप के पहले चरण से पूर्व विश्व तीरंदाजी से कहा, ”आगामी ओलंपिक मेरे लिये अलग तरह के होंगे। मैं अपने विचारों पर ​नियंत्रण रखना सीख रही हूं। इसके साथ ही मैं अच्छा प्रदर्शन भी कर रही हूं।”

दीपिका ने पहली बार लंदन ओलंपिक 2012 में हिस्सा लिया था जहां वह व्यक्तिगत और टीम दोनों स्पर्धाओं में पहले दौर में बाहर हो गयी थी। इसके चार साल बाद रियो में दीपिका व्यक्तिगत वर्ग के अंतिम 16 में पहुंची थी जबकि टीम स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल में रूस से हार गयी थी।

इस बार यदि तीरंदाज विश्व कप के तीसरे चरण में टीम कोटा हासिल नहीं कर पाते हैं तो दीपिका भारत से भाग लेने वाली अकेली तीरंदाज होगी।

दीपिका ने कहा, ”तीरंदाजी आपके दिमाग और विचारों से जुड़ा खेल है। हमें यह समझना होता है कि दबाव कैसे झेलना है। दिमाग को कैसे नियंत्रित रखना है। यह तीरंदाजी और खेल में महत्वपूर्ण है। ”

भाषा पंत आनन्द

आनन्द