नयी दिल्ली, 20 दिसंबर (भाषा) इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के 10 क्लबों द्वारा देश की शीर्ष स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता के स्थायी संचालन और व्यावसायिक अधिकारों से जुड़े प्रस्ताव को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) की आमसभा से मंजूरी नहीं मिली।
इसके बजाय एआईएफएफ ने शनिवार को इस मुद्दे पर विचार के लिए एक समिति गठित कर दी।
क्लबों ने शुक्रवार को आईएसएल के मूल ढांचे में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा था जिसमें क्लब-स्वामित्व वाले लीग मॉडल के तहत स्थायी संचालन और व्यावसायिक अधिकार मांगे गए थे जबकि एआईएफएफ को खेल का नियामक बनाए रखने की बात कही गई थी।
यह प्रस्ताव यहां आयोजित एआईएफएफ की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में विचार के लिए रखे जाने पर पारित नहीं हो सका। एआईएफएफ कार्यकारी समिति के सदस्य अविजित पॉल ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को ‘अस्वीकार्य’ बताया था।
एआईएफएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘आईएसएल के भविष्य को लेकर 10 क्लबों द्वारा एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिसे एजीएम में मोहन बागान सुपर जायंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय चोपड़ा ने रखा। क्लबों द्वारा लीग को स्थायी रूप से संचालित करने के अनुरोध पर आमसभा में मिली-जुली प्रतिक्रिया के चलते महासंघ ने समाधान तलाशने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। ’’
इस समिति में केरल फुटबॉल संघ के अध्यक्ष नवास मीरान, गोवा राज्य इकाई प्रमुख कैतानो फर्नांडिस और भारतीय फुटबॉल संघ (पश्चिम बंगाल) के सचिव अनिर्बान दत्ता शामिल हैं जबकि एआईएफएफ के उप महासचिव एम सत्यानारायण पदेन सदस्य होंगे।
यह पैनल 22 से 29 दिसंबर के बीच पांच क्लबों चेन्नईयिन एफसी, मुंबई सिटी एफसी, दिल्ली स्पोर्टिंग क्लब, नॉर्थईस्ट यूनाइटेड एफसी और मोहन बागान सुपर जायंट के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगा।
बयान में आगे कहा गया, ‘‘इस समिति का उद्देश्य उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित एआईएफएफ संविधान के अनुरूप कोई समाधान निकालना है। ’’
एआईएफएफ ने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर वह फीफा और एएफसी से सलाह लेगा ताकि अन्य देशों में ऐसे मामलों से निपटने के उदाहरणों की समीक्षा की जा सके।
एआईएफएफ के अनुसार, ‘‘इन दौरान फीफा और एएफसी के संबंधित पर्यवेक्षकों क्रमश: प्रिंस रूफस और निरेन मुखर्जी ने सलाह दी कि इन फैसलों के लिए एआईएफएफ का संविधान ही संचालन प्राधिकरण है। ’’
इससे पहले क्लबों ने एआईएफएफ से आग्रह किया था कि वह नए संविधान की व्यावसायिक रूप से प्रतिबंधात्मक अनुच्छेद में संशोधन के लिए उच्चतम न्यायालय से अनुरोध करे। हालांकि एआईएफएफ के उच्चतम न्यायालय द्वारा तय संविधान का पालन करने पर जोर देने के बाद यह कहना मुश्किल है कि क्लब भविष्य में किसी समाधान पर सहमत होंगे या नहीं।
शनिवार के घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया कि आईएसएल के भविष्य को लेकर अनिश्चितता जल्द खत्म होने वाली नहीं है।
भाषा नमिता आनन्द
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