कप्तान के तौर पर गांगुली और कुंबले मेरे लिए खास रहेंगे: पार्थिव | Ganguly and Kumble will be special to me as captain: Parthiv

कप्तान के तौर पर गांगुली और कुंबले मेरे लिए खास रहेंगे: पार्थिव

कप्तान के तौर पर गांगुली और कुंबले मेरे लिए खास रहेंगे: पार्थिव

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:43 PM IST, Published Date : December 9, 2020/11:14 am IST

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर (भाषा) विकेटकीपर बल्लेबाज पार्थिव पटेल ने संन्यास की घोषणा करने के बाद बुधवार को कहा कि दिग्गज भारतीय खिलाड़ी अनिल कुंबले के साथ उनके पहले टेस्ट कप्तान सौरव गांगुली ‘सही मायनों में नेतृत्वकर्ता’ थे और क्रिकेट के अलावा जिंदगी में भी उनपर इन दोनों खिलाड़ियों का काफी प्रभाव रहा है।

ये भी पढ़ें- ननकीराम कंवर ने रमन सरकार पर लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप, वायरल हुआ ये पत्र

इस 35 साल के इस खिलाड़ी ने 18 साल के अपने क्रिकेट करियर को अलविदा करते हुए कहा कि गुजरात के लिए घरेलू क्रिकेट के लगभग सभी खिताबके अलावा तीन बार आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) चैम्पियन बनने के बाद आगे बढ़ने का यह ‘सही समय’ है।

पार्थिव ने चुनिंदा पत्रकारों के साथ ऑनलाइन संवादाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ लोगों के प्रबंधन कौशल के मामले में मैं हमेशा सौरव गांगुली को सही मायने में नेतृत्वकर्ता मानता हूं। सौरव और अनिल महान कप्तान थे। मैं आज जो हूं उसे बनाने में उनका काफी योगदान है।’’

ये भी पढ़ें- बिलासपुर पहुंचीं प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, कहा- बीजेपी ने तैयार किया तीन साल का रोड मैप, जो

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे पास अभी भी पहले टेस्ट मैच की टोपी है जिसे दादा (गांगुली) ने मुझे दिया था। हेडिंग्ले (2002) और एडीलेड (2003-04) में टेस्ट जीत और रावलपिंडी में पारी का आगाज करते हुए अर्धशतक लगाना मेरे लिए सबसे यादगार लम्हें है।’’

उन्होंने कहा कि वह पिछले एक साल से संन्यास लेने के बारे में सोच रहे थे लेकिन यह सबसे बेहतर समय है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस फैसले के बाद मुझे शांति की अनुभूति हुई और मैं ठीक से नींद ले पाया। मेरे परिवार के सदस्यों की आंखे हालांकि नम थी। मैं एक साल से इस पर विचार कर रहा था और 18 साल के बाद शायद ही कुछ और हासिल करने के लिए बचा था।’’

पार्थिव ने कहा, ‘‘ मैंने सभी घरेलू टूर्नामेंट जीते हैं। इसमें तीन आईपीएल ट्रॉफी भी है। मुझे लगता है गुजरात क्रिकेट सही जगह है।’’

महेंद्र सिंह धोनी के युग में विकेटकीपर के तौर पर खेलना एक आसान काम नहीं था, लेकिन पार्थिव ने खेल के प्रति अपने जज्बे से गुजरात जैसे राज्य को घरेलू क्रिकेट की मजबूत टीम बनाने में अहम भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय टीम 2009 में न्यूजीलैंड दौरे पर गयी थी। मैंने उससे पहले रणजी ट्रॉफी में 800 रन बनाए थे और दलीप ट्रॉफी के फाइनल में शतक बनाया था। मुझे राष्ट्रीय टीम में तब जगह नहीं मिली। मुझे लगा करियर खत्म हो गया। लेकिन फिर मैंने कुछ और सोचा और यह एक टीम को खड़ा करने का फैसला था।’’

पढ़ें- सीएम बघेल ने शहादत दिवस पर शहीद वीर नारायण सिंह को ..

पार्थिव को पता था कि जब तक एक टीम के रूप में गुजरात का प्रदर्शन अच्छा नहीं होगा, तब तक उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन बहुत कम मायने रखेगा। उनकी कप्तानी में गुजरात ने जसप्रीत बुमराह और अक्षर पटेल जैसे खिलाड़ियों के साथ रणजी ट्रॉफी, विजय हजारे और मुश्ताक अली ट्रॉफी का खिताब जीता।

इस अनुभवी खिलाड़ी ने यह माना कि भारतीय क्रिकेट में विकेटकीपर का चयन बल्लेबाजी प्रदर्शन के दम पर होता है जबकि विकेट के पीछे खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें बाहर कर दिया जाता है।

पढ़ें- ‘विधायक तुंहर दुआर’ कार्यक्रम का आठवां दिन, विधायक …

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अभी भी मानता हूं कि भारत के लिए टेस्ट मैचों में रिद्धिमान साहा की तरह सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर को खेलना चाहिए। हां, प्रारूप के अनुसार कौशल बदलते हैं लेकिन मेरा मानना ​​है कि अब आपको भारत के लिए खेलने के लिए अच्छे कीपर के साथ अच्छा बल्लेबाज भी होना चाहिए।’’