आईपीएल फ्रेंचाइजी ने 3 करोड़ में खरीदा था ‘रसगुल्ला’ को, वलीमा में पागलों की तरह हंस पड़ी थी बहन,अब्बू को भी नहीं हुआ था विश्वास

आईपीएल फ्रेंचाइजी ने 3 करोड़ में खरीदा था 'रसगुल्ला' को, वलीमा में पागलों की तरह हंस पड़ी थी बहन,अब्बू को भी नहीं हुआ था विश्वास

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  • Publish Date - May 25, 2020 / 09:31 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:00 PM IST

खेल। आईपीएल (IPL) ने देश के कई प्रतिभाशाली युवा भारतीय खिलाड़ियों को नेम-फेम के साथ पैसे कमाने मौका दिया है। आईपीएल के लिए विभिन्न फ्रेंचाइजी जिन खिलाड़ियों को चुनती है, उनके परिवारों की भी किस्मत खुल जाती हैं। घरेलू क्रिकेट के जरिए अपनी पहचान बनाने वाले टीम इंडिया के तेज गेंदबाज खलील अहमद की कहानी काफी दिलचस्प है।

टीम इंडिया के तेज गेंदबाज खलील अहमद के पिता (जो राजस्थान के छोटे से शहर टोंक में कम्पाउंडर हैं) 2018 में हुए उनके आईपीएल फ्रेंचाइजी टीम के बीच खिलाड़ियों की नीलामी को याद करते हैं। खलील अहमद के पिता बताते हैं, “मैंने सुबह 7 बजे जगा, चाय पीते हुए ऑक्शन देखना शुरु किया। अहमद बताते हैं कि वे खलील की बारी का इंतजार करता रहा और जब इसका नंबर आया तब शाम के 7 बज रहे थे। मैंने पूरा दिन खाना नहीं खाया था और घर में कोई भी नहीं था। मेरे दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, मैं बहुत घबरा रहा था। जब मैंने अंतिम धनराशि (3 करोड़ रुपये) देखी तब मुझे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था।”

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वहीं खलील अहमद की बड़ी सिस्टर बताती हैं, “मुझे याद है, मैं एक रिसेप्शन में थी। हम बस खाना खाना शुरु ही करने वाले थे कि मुझे मेरे कज़िन का फोन आया। जब मुझे मेरे भाई के ऑक्शन के बारे में पता चला, मैं पागलों की तरह हंसने लगी। लोगों को लगा कि मैं पागल हो गयी हूं- वे मुझसे बार-बार पूछने लगे कि क्या हुआ। मुझे याद है उस रात मैंने डिनर भी नहीं किया और परिवार के साथ जश्न मनाने वापस लौट आई!”

खलील अहमद की बहन आगे बताती हैं, “हम खलील अहमद को प्यार से ‘रसगुल्ला’ बुलाते थे। इसलिए जब हमें इतनी बड़ी ऑक्शन मिली, मेरे पिता जी ढ़ेर सारे रसगुल्ले लेकर आए और हमने पूरे मालपुरा गांव, जो हमारा पैतृक गांव भी है, उसमें रसगुल्लों बांटे।”

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खुद खलील अहमद भी याद करते हुए बताते हैं, “ऐसा ही जश्न भारतीय टीम में मेरे चुने जाने पर भी मनाया गया था। टोंक से कई लोग, हमारे रिश्तेदार से लेकर करीबी दोस्त और यहां तक कि ऐसे लोग भी जिन्हें मैं जानता तक नहीं था, मेरे घर आए। मुझे फूलों की माला पहनाई गई। मुझे ढेर सारे फूल और मिठाइयां दी गई थीं। छोटे से शहर में ऐसा ही होता है। एक इंसान की सफलता पूरे समुदाय की सफलता होती है। मुझे याद है, उस दिन मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा था।”