भारत के खिलाफ शिकस्त की ईमानदारी से समीक्षा और टीम शिविर में कड़ा रवैया अपनाने की जरूरत: वॉन

भारत के खिलाफ शिकस्त की ईमानदारी से समीक्षा और टीम शिविर में कड़ा रवैया अपनाने की जरूरत: वॉन

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  • Publish Date - March 10, 2024 / 03:36 PM IST,
    Updated On - March 10, 2024 / 03:36 PM IST

धर्मशाला, 10 मार्च (भाषा) पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने इंग्लैंड के सहयोगी सदस्यों को असरहीन करार देते हुए आशंका जतायी कि इंग्लैंड के सभी खिलाड़ी मौजूदा टीम संस्कृति को पूरी तरह से नहीं अपना पाए हैं।

 वॉन ने सुझाव दिया कि टीम को मैनचेस्टर सिटी के मैनेजर पेप गार्डियोला की शैली से सीख लेते हुए भारत में मिली 1-4 की हार की ईमानदार समीक्षा कर कड़ा कदम उठाना चाहिये।

भारत ने शनिवार को यहां पांचवें और अंतिम टेस्ट को तीन दिन के अंदर पारी और 64 रन की जीत के साथ शानदार तरीके से श्रृंखला को खत्म किया।

वॉन ने डेली टेलीग्राफ के लिए अपने कॉलम में लिखा, ‘‘भारत में श्रृंखला में करारी हार के बाद, मेरा मानना है कि इस समय इंग्लैंड की टीम की ईमानदारी से समीक्षा की जानी चाहिये।’’

इंग्लैंड का 2003 से 2008 तक नेतृत्व करने वाले वॉन ने कहा, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि उन्हें सब कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश करने की जरूरत है। वे इससे (भारत के खिलाफ मिली हार के परिणाम) बेहतर खिलाड़ी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ वे जो करने की कोशिश कर रहे हैं, मैं उसका सम्मान करता हूं और हर दिन जल्दी उठकर उन्हें देखता हूं क्योंकि उन्होंने इस प्रारूप को रोचक बनाया है और हमेशा ऐसा लगता है कि मैच में कोई मोड़ आने वाला है।’’

वॉन ने कहा, ‘‘ इसमें बड़ी निराशा यह है कि उनके पास वास्तव में दुनिया भर में प्रतिस्पर्धी होने की प्रतिभा है, लेकिन दो बड़ी श्रृंखलाओं को जीतने में विफल रहे हैं। इस मामले में ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनकी बल्लेबाजी बुरी तरह विफल रही।’’

वॉन ने टीम प्रबंधन पर खिलाड़ियों के प्रति बहुत नरम रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह समझते हैं कि शिविर में सकारात्मकता, मौज-मस्ती और हंसी-मजाक की भावना व्याप्त है लेकिन यह हमेशा वांछित परिणाम नहीं ला सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हर साक्षात्कार में आप उत्साह, अवसर और मौज-मस्ती के बारे में वही बातें सुनते हैं, मैं पिछले कुछ वर्षों में उनमें से कई खिलाड़ियों और सहयोगी सदस्यों के साथ रहा हूं । उनकी भाषा प्रेरणादायक हो सकती है। मैं उनमें से कुछ की प्रशंसा करता हूं, लेकिन मैं थोड़ा पुराने ख्याल का हो सकता हूं। मुझे चिंता है कि उनका यह रवैया टीम के हित में नहीं है।’’

भाषा आनन्द पंत

पंत