नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) डोपिंग रोधी नियमों के उल्लंघन के कारण 18 महीने के निलंबन ने जब प्रमोद भगत के पेरिस खेलों में पैरालंपिक स्वर्ण पदक का बचाव करने के सपनों को चकनाचूर कर दिया तो शायद ही किसी ने उनकी शानदार वापसी की कल्पना की होगी।
बचपन में एक दोषपूर्ण टीके के कारण पोलियो से संक्रमित हुए भगत के लिए यह वापसी आसान नहीं थी।
सितंबर में निलंबन समाप्त होने के बाद तोक्यो पैरालंपिक चैंपियन भगत ने नए सिरे से ध्यान केंद्रित करते हुए विश्व पैरा बैडमिंटन सर्किट में वापसी की और चीन, नाइजीरिया, ऑस्ट्रेलिया और जापान में आयोजित टूर्नामेंटों में एकल, पुरुष युगल और मिश्रित युगल में 10 स्वर्ण पदक जीते।
इस प्रदर्शन ने उन्हें पुरुष युगल विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंचाया और वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच एकल खिलाड़ियों में उनकी जगह फिर से स्थापित की।
भगत ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह एक बड़ी गलती थी। मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था। मुझे पता था कि जब मैं डेढ़ साल बाद वापसी करूंगा तो मेरे लिए वापसी करना इतना आसान नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जो खिलाड़ी अभी खेल रहे हैं उनका आत्मविश्वास ऊंचा होगा। हर किसी का खेल अलग होगा, बहुत सारे बदलाव होंगे। तकनीक भी बहुत मायने रखती है। मैंने इन सब बातों को ध्यान में रखा और खुद को इसके लिए तैयार किया।’’
भगत ने कहा, ‘‘मैंने जो योजना बनाई थी वह सफल रही और अब मैंने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है। मैंने खुद से कहा कि वापस आने के बाद मैं अपना दबदबा वापस पाने के लिए कुछ भी करूंगा। मैं ऐसा करने में सक्षम रहा।’’
भगत पर प्रतिबंध कैस डोपिंग रोधी डिवीजन द्वारा निर्धारित 12 महीने की अवधि में तीन बार ठहरने के स्थान संबंधी नियम की विफलता के कारण लगा।
भगत ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा झटका था लेकिन प्रतिबंध का कारण तकनीकी त्रुटि थी। मुझे पता है कि मैं ओलंपिक से चूक गया लेकिन मुझे पता था कि मैंने अपना 100 प्रतिशत दिया है। मैं हतोत्साहित नहीं हुआ।’’
भाषा सुधीर आनन्द
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