(मोना पार्थसारथी)
चेन्नई, छह दिसंबर (भाषा) खिताब से दो जीत दूर भारतीय टीम को जर्मनी के खिलाफ जूनियर हॉकी विश्व कप सेमीफाइनल से पहले मुख्य कोच पी आर श्रीजेश से एक ही सलाह मिली है कि अभी काम पूरा नहीं हुआ है और अपने पैर जमीन पर रखने हैं ।
भारत ने आखिरी मिनट में गोल गंवाने के बाद शूटआउट तक खिंचे क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम को 4-3 से हराया लेकिन दो बार के ओलंपिक पदक विजेता रहे कोच श्रीजेश का कहना है कि सात बार की चैम्पियन जर्मनी के खिलाफ इस तरह की गलतियों की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी ।
उन्होंने भाषा से कहा ,‘‘ बेल्जियम के खिलाफ पहले 45 मिनट एक गोल से पीछे रहना और फर आखिरी एक मिनट में उन्हें बराबरी का गोल करने का मौका देना , यह मुझे अच्छा नहीं लग रहा था । आखिरी मिनट में गोल गंवाना, शूटआउट इससे बचना चाहिये।’’
भारत के महान गोलकीपर रहे श्रीजेश ने कहा ,‘‘ अच्छे मूव को फाइनल टच देना जरूरी है । हम लगातार आक्रमण कर रहे थे और मौके बना रहे थे । सर्कल के भीतर गेंद का नियंत्रण नहीं खोना चाहिये । कठिन टीमों के खिलाफ गोल करने के मौके ज्यादा नहीं मिलते हैं और जो भी मौके मिले, उन्हें भुनाना होगा।’’
यह पूछने पर कि लीग चरण में आसान चुनौतियों से क्या क्वार्टर फाइनल में दबाव अधिक रहा , श्रीजेश ने कहा ,‘‘ लीग दौर के मैच सभी के लिये लगभग बराबर होते हैं । कुछ टीमों को एक कठिन मैच मिल जाता है लेकिन हमने अपनी टीम का स्तर ऊंचा रखने की कोशिश की और उन्हें चुनौतियां दी कि इतने गोल से जीतना है। लेकिन नॉकआउट चरण में दबाव अलग होता है।’’
भारत ने राउंड रॉबिन चरण में 29 गोल किये और एक भी नहीं गंवाया था ।
कोच ने आगे कहा ,‘‘क्वार्टर फाइनल से ज्यादा दबाव अब सेमीफाइनल में होगा । क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया जैसी टीम क्वालीफाई नहीं कर सकी । हम किसी टीम को हलके में नहीं ले सकते । जर्मन टीम पूरी तैयारी के साथ उतरेगी लिहाजा हमे अपने खेल में सुधार करना होगा ।’’
उन्होंने यह भी बताया कि अपने युवा खिलाड़ियों को बेहतरीन मैच जीतने के बाद उन्होंने समझाया कि काम अभी पूरा नहीं हुआ है और आत्ममुग्धता से बचना जरूरी है ।
उन्होंने कहा ,‘मैने टीम से यही कहा कि पैर जमीन पर रखने हैं और अब फोकस अगले मैच पर करना है । सबसे अहम बात यह है कि अच्छे प्रदर्शन की बजाय गलतियों पर ध्यान दें । डी के भीतर की गई गलतियों को दूर करना होगा ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ ये खिलाड़ी सिर्फ जूनियर विश्व कप खेलने के लिये नहीं है , इन्हें आगे भारतीय टीम में खेलना है और इस दबाव का सामना करना आना ही चाहिये । आगे ओलंपिक, एशियाई खेल , विश्व कप, राष्ट्रमंडल खेल सब खेलना है । अभी शुरूआती कदम है और यहां अच्छा खेलने पर आगे की राह आसान हो जायेगी ।’’
भाषा मोना
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