(अमनप्रीत सिंह)
नयी दिल्ली, 14 जुलाई ( भाषा ) तोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय पहलवानों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है और कम से कम तीन तो पदक के प्रबल दावेदार हैं ।
भारत के सात पहलवान कुश्ती में चुनौती पेश करेंगे जिनमें से विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया पर सभी की नजरें होंगी । उनके अलावा अंशु और सोनम मलिक ने जूनियर से सीनियर स्तर तक तेजी से कामयाबी हासिल की है । भारतीय पहलवानों की ताकत और कमजोरियों का आकलन इस प्रकार है ।
बजरंग पूनिया ( 65 किलो ) :
ताकत : दमखम, बल , आक्रमण
कमजोरी : पैर का बचाव, जल्दी अंक गंवाना
सफलता : तीन बार के विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता, सात बार एशियाई पदक विजेता
खतरा : इताकुतो ओटोगुरो ( जापान) , गाजिमुराद राशिदोव ( रूस ) ।
बजरंग पिछले दस अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में पदक जीतने में कामयाब रहे हैं । उन्होंने छह स्वर्ण, तीन रजत और एक कांस्य जीता । दमखम के आधार पर जीतने वाले बजरंग के लिये ‘लेग डिफेंस’ समस्या रहा है । उन्होंने इस पर मेहनत की है लेकिन उनके भारवर्ग में चुनौती काफी कठिन होगी ।
रवि दहिया : (57 किलो )
ताकत : लगातार हमले बोलने की क्षमता
कमजोरी : निर्णायक क्षणों में दबाव में आ जाना
सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, दो बार एशियाई चैम्पियन
खतरा : जावुद युगुएव ( रूस), सुलेमान अली ( तुर्की ), युकी ताकाहाशी ( जापान)
सुर्खियों में रहे बिना पदक के प्रबल दावेदारों में शुमार रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम की देन है । वह तकनीक के धनी और काफी ताकतवर पहलवान हैं । उन्हें हालांकि बढत बनाने के बाद दबाव में होने का खामियाजा पोलैंड ओपन में भुगतना पड़ा ।
दीपक पूनिया :
ताकत : लचीलापन , दमखम, आक्रमण
कमजोरी : रक्षण
सफलता : 2019 विश्व रजत पदक विजेता, 2020 एशियाई कांस्य पदक
खतरा : हसन यजदानी ( इरान ), डेविड मौरिस टेलर(अमेरिका)
दीपक जूनियर से सीनियर स्तर पर कामयाबी के साथ पहुंचे लेकिन तोक्यो ओलंपिक की तैयारी उतनी पुख्ता नहीं कही जा सकती । उन्होंने 2020 विश्व कप के बाद नहीं खेला है और पोलैंड ओपन से पहले चोट के कारण बाहर होना पड़ा ।
विनेश फोगाट ( 53 किलो ):
ताकत : दमखम, तकनीकी कौशल
कमजोरी : जवाबी हमलों पर अंक गंवाना
सफलता : 2019 विश्व कांस्य पदक विजेता, 2021 एशियाई चैम्पियन
खतरा : मायु मुकेइडा ( जापान )
विनेश अपने वर्ग में स्वर्ण पदक की दावेदार है । भारवर्ग में बदलाव का भी उन्हें फायदा मिला है। वह तकनीकी कौशल की धनी है और उनमें अपार ताकत भी है । जवाबी हमलों पर अंक गंवाने से उन्हें बचना होगा ।
सीमा बिस्ला (50 किलो )
ताकत : सहनशीलता, वापसी की क्षमता
कमजोरी : बड़े स्तर पर खेलने के अनुभव का अभाव, रक्षण
सफलता : 2021 एशियाई कांस्य पदक विजेता
खतरा : मारिया स्टाडनिक ( अजरबैजान ), युइ ससाकी ( जापान )
सीमा ने तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करके सभी को चौका दिया है । वह बुल्गारिया में हुए टूर्नामेंट से तोक्यो का टिकट कटाने में कामयाब रही क्योंकि वहां बड़े पहलवान नहीं उतरे थे । बड़े स्तर पर अनुभव की कमी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है । उनके वर्ग में आठ पहलवान ऐसे हैं जिनका उन्होंने कभी सामना नहीं किया ।
अंशु मलिक : (57 किलो )
ताकत : तकनीकी रूप से सक्षम, आक्रामक
कमजोरी : अनुभव का अभाव
सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन
खतरा : रिसाको कावाइ ( जापान), ओडुनायो एफ ( नाइजीरिया )
बेहद प्रतिभाशाली अंशु के पास खोने के लिये कुछ नहीं है । तोक्यो का अनुभव भविष्य में उनके काम आयेगा ।
सोनम मलिक : ( 62 किलो )
ताकत : तकनीक, जवाबी हमलों पर स्कोर करने की क्षमता
कमजोरी : अनुभव का अभाव
सफलता : 2021 एशियाई चैम्पियन
खतरा : युकाको कावाइ ( जापान), तायबे मुस्तफा ( बुल्गारिया )
सोनम भी अंशु की तरह ‘सरप्राइज क्वालीफायर’ हैं । वह कैडेट स्तर से सीधे सीनियर स्तर पर पहुंची । घरेलू स्तर पर उन्होंने लगातार चार बार रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को हराया ।
भाषा मोना सुधीर
सुधीर