प्रलोभन देकर ले गए हैदराबाद, मारपीट कर बना लिया बंधुआ मजदूर, 35 से ज्यादा अब भी बंधक

प्रलोभन देकर ले गए हैदराबाद, मारपीट कर बना लिया बंधुआ मजदूर, 35 से ज्यादा अब भी बंधक

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  • Publish Date - January 18, 2019 / 08:25 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

कोंडागांव। जिले में रोजगार की भारी कमी है। ऐसे में बेरोजगार युवा रोजगार की तलाश में भटकते हुए दलालों के चंगुल में फस जाते हैं। दलाल उन्हें अधिक दाम में कम काम का लालच दे कर ऐसी जगह ले जाते है जहां से वे आसानी से लौट कर नहीं आ सकते। ऐसी जगहों में पहुंच कर रोजगार तलाशते युवकों को हकीकत के बारे में पता चलता है, जहां काम तो लिया जाता है, पर मेहताने के नाम पर कुछ नहीं मिलता। कई बार तो ऐसे स्थान से मजदूर का शव ही वापस लौटता है।

ऐसा ही मामला कोण्डागांव में सामने आया है। दलालों के चंगुल में फरसगांव के चार युवक हैदराबाद पहुंच गए। वहां उन्हे पता चला कि, जिसने उन्हे यहां काम पर लगवाया है, उस व्यक्ति ने उनके साथ दगा करते हुए 10 हजार रुपए में बेच दिया है। चारों युवक कुछ दिन के बाद हैदराबाद से भागकर घर तो लौट आए। यहां पहुंच इन युवकों ने मामले की लिखित शिकायत श्रम अधिकारी को कर दी, साथ ही इन्होने यह भी बताया कि, उस स्थान पर प्रदेश के कई अन्य युवा-युवती भी बंधुवा मजदूर बनाकर रखे गए हैं।

युवकों का आरोप है कि, विभाग इस ओर अब तक कोई ध्यान नहीं दे रहा। कोण्डागांव के विकासखंड फरसगांव के ग्राम पंचायत चुरेगांव निवासी रितेश कुमार मरकाम (22) पिता आसाराम ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि, पड़ोसी गांव भानपुरी के सराराटिकरा निवासी रितेश कोर्राम उसे और उसके ही गांव के श्यामसुंदर, जागेश्वर और सुरेंद्र भारद्वाज को काम दिलाने के नाम पर 4 जनवरी को हैदराबाद भेजा। हैदराबाद भेजते समय उसने एक नम्बर दिया और कहा वहां पहुंच इस नंबर से संपर्क करने पर बस स्टैंड में उन्हे कोई लेने पहुंच जाएगा। रितेश के कहे अनुसार हैदराबाद बस स्टैंड पर उन्हें लेने विनोद नामक व्यक्ति पहुंचा भी। तब तक इन चार दोस्तों को सब ठीक ही लग रहा था, इसके बाद उन्हे वेंकट सई कंपनी बरमापल्ली हैदराबाद ले जाया गया। यहां उन्हे सीमेंट ईट बनाना का काम दिखाया गया, जिसे करने से इन चारों ने मना करते हुए घर वापसी की बात कही।

जब इन चारों ने ईंट बनाने के काम को मना किया तो, कंपनी के मैनेजर ने उनके साथ मारपीट करते हुए अभद्रता की। मौके पर मैनेजर ने कहा, रितेश मरकाम, श्यामसुंदर, जागेश्वर और सुरेंद्र भारद्वाज के ऐवज में रितेश कोर्राम को दस-दस हजार रुपए दिए है। काम छोड़ कर जाना है तो सभी दस-दस हजार रुपए लौटाकर घर लौट जाएं। परिस्थिति को देखते हुए चारों वहीं रुक गए। 2 दिन के बाद 7 जनवरी को वे किसी तरह वहां से भाग निकले।

रितेश ने उनके साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया कि, जब वे हैदराबाद से वापस आना चाहते थे तो मैनेजर उनसे दलाल को दिए गए 10 हजार रुपए वापस मांगने लगा। इस बात को लेकर रितेश ने अपने घर पर मां के पास काॅल किया। परिजनों से सौदे-बाजी के बाद 6 हजार रुपए रिहाई के लिए और बस किराया के लिए एक हजार रुपए पर डील पक्की हुई। परिजनों ने तय सौदा अनुसार रकम तो भिजवा दिए, लेकिन उनकी रिहाई नही हुई। रिहाई नहीं होने से रितेश वहां से किसी तरह भाग निकला।

कंपनी में महिला मजदूर भी बंधक भागकर लौट गए चारों युवकों की माने तो बरमापल्ली हैदराबाद की वेंकट साई कंपनी में 35 से 40 व्यक्ति अब भी बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे है। रितेश कुमार मरकाम की माने तो, बंधक मजदूर इसलनार, मर्दापाल व चिंगनार क्षेत्र के है। इनमें 3 युवतियां भी शामिल है, जिसने साथ शारीरीक शोषण का भी अंदेशा व्यक्ति किया गया है।

इस मामले पर जब जिला श्रम अधिकारी आरजी सुधाकर से चर्चा की गई तो, उनसे सकारात्कम जवाब नहीं मिला। उनके अनुसार आवेदक ने 10 जनवरी को लिखित शिकायत दिया है, इस मामले में कार्रवाई जारी है। अभी एक सप्ताह की देरी और होगी। आर्थिक व अन्य व्यवस्था करने में समय लग रहा है, जिस कारण दल रवाना नहीं किया गया है। वहीं अधिकारी सुधाकर ने यह भी बताया कि, मजदूरों से अब तक कोई संपर्क नहीं हो पाया है। अधिकारी के इस लेट लतीफी का खामियाजा बंधक मजदूरों को भुगतना पड़ सकता है।

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सिंगनपुर निवासी चिन्तु राम नेताम समेत तीन युवकों को इसी गांव के विजय ने काम का लालच देकर बोरवेल वाहन में काम करने तमिलनाडु ले गया। यहां चिंटू राम का तबीयत खराब हो गई और ईलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मृत्यु की सूचना 3 दिन बाद परिवार को लगी। परिवार का आरोप है कि, श्रम विभाग की लेट लतीफी के कारण 11 जनवरी को मृत चिन्तु राम नेताम का शम 16 जनवरी की सुबह पांच दिन बाद तमिलनाडु से सिंगनपुर लाया गया।