कैबिनेट में मंजूरी के साथ ही समाप्त होगा कर्मी शब्द, शिक्षाकर्मियों का पद घोषित होगा डाइंग कैडर

कैबिनेट में मंजूरी के साथ ही समाप्त होगा कर्मी शब्द, शिक्षाकर्मियों का पद घोषित होगा डाइंग कैडर

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  • Publish Date - June 17, 2018 / 04:49 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:31 PM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद कर्मी शब्द समाप्त हो जाएगा। बताया जा रहा है कि शिक्षाकर्मी पद को डाइंग कैडर घोषित कर दिया जाएगा। 8 साल की सेवा अवधि पूरा करने वाले प्रदेश के शिक्षाकर्मी एक जुलाई 2018 से शिक्षा विभाग में शामिल हो जाएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वरिष्ठता सेवा में आने की तिथि से ही मानी जाएगी। वरिष्ठता के हिसाब से ही व्याख्याता और प्राचार्य के पदों पर शिक्षकों की पदोन्नति के रास्ते भी खुलेंगे। शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद संख्या दो लाख के पार पहुंच जाएगी। इसके बाद शिक्षा विभाग ही प्रदेश का सबसे बड़ा विभाग होगा।

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शिक्षाकर्मियों के संविलियन के मसौदे को 18 जून को होने वाली कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल जाएगी। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद एक जुलाई से शिक्षाकर्मियों के शिक्षा विभाग में संविलियन का आदेश राज्य में लागू कर दिया जाएगा।

उधर, शिक्षाकर्मियों की मांग है कि सातवें वेतनमान व संविलियन के लिए  वर्ष का बंधन न रखा जाए। उनकी मांग है कि नियुक्ति तिथि के 10 वर्ष की सेवा पूर्णता पर क्रमोन्नति वेतन मिले, प्राचार्य व प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति का प्रावधान किया जावे, खुली स्थानांतरण नीति व शर्त विहीन अनुकंपा नियुक्ति की सुविधा, ग्रेच्यूटी,अर्जित अवकाश के नकदीकरण, समूह बीमा का उल्लेख किया जाए।

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शिक्षक पंचायत नगरीय निकाय मोर्चा के प्रदेश संचालक विरेन्द्र दुबे का कहना है कि संविलियन के लिए अब कैबिनेट की बैठक का इंतजार है। अगर सभी प्रस्तावों पर शासन की ओर से स्वीकृति मिलती है, तो प्रदेश और जिलास्तर पर बड़े कार्यक्रम किए जाएंगे। इस पर फैसला संविलियन के बाद होगा।

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संविलियन के साथ वर्ग तीन के एक लाख शिक्षाकर्मियों की वेतन विसंगति दूर करना भी बड़ा मुद्दा रहा है। राजस्थान की तर्ज पर यहां भी वेतन विसंगति दूर करने का मुद्दा तेजी से उठा है। शिक्षाकर्मियों का कहना है कि वर्ग एक और दो के कर्मियों के बीच वेतन में अधिक अंतर नहीं है। वर्ग दो और तीन के बीच 10 हजार से अधिक का अंतर है। इसे दूर कर उन्हें सम्मानजनक वेतन दिया जाना चाहिए। इस पर निर्णय नहीं हो सका है। प्रबंधन शिक्षा विभाग के हाथ शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति से लेकर उनके वेतन और प्रबंधन का पूरा दायित्व वर्तमान में स्थानीय निकायों के पास है। शिक्षाकर्मियों के संविलियन के बाद उनके वेतन से लेकर कामकाज और प्रबंधन का पूरा दायित्व भी शिक्षा विभाग के पास ही होगा। कोई भी शिक्षक पंचायत या नगरीय निकाय के अंतर्गत नहीं रहेंगे। नियमित शिक्षकों की तरह ही शिक्षाकर्मियों के संबंध में लिए जाने वाले सभी निर्णय शिक्षा विभाग के माध्यम से ही होंगे।

 

वेब डेस्क IBC 24