मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान, मोदी सरकार का बजट मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाला, आकांक्षी जिलों के लिए भी नही है कोई प्रावधान

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान, मोदी सरकार का बजट मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ाने वाला, आकांक्षी जिलों के लिए भी नही है कोई प्रावधान

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  • Publish Date - July 5, 2019 / 09:40 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:25 PM IST

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह बजट बहुत ही निराशा जनक है। पेट्रोल डीजल के भाव में 1रूपए की वृद्धि की गई इससे मंहगाई बढ़ना है। मध्यम वर्ग के लिए आयकर में कोई राहत नही दी गई है। बेरोजगारी इस देश के लिए सबसे बड़ी समस्या है, युवाओं को रोजगार कैसे दिया जाएगा इसका कोई प्रावधान नहीं किया गया।

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सीएम ने कहा कि किसानों के लिए कल जो 65 रूपया धान के समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है वे ऊंट के मुंह में जीरा है, ऐसे में किसानों की आय दोगुना कैसे होगी। किसानों की आय 2022 में आय दोगुना करने की बाते सिर्फ एक जुमला है। इसकी कोई संभावना नही है। रेल को पीपीपी मॉडल में ले जा रहे हैं इसे प्राइवेट सेक्टर में ले जाने के बाद रोजगार लोगों से छीना जाएगा। आवास योजना जो देश में लागू किया गया है छत्तीसगढ़ के खाते में 7 हजार करोड़ देना होगा, केंद्र पोषित योजना में केंद्र का हिस्सा शत प्रतिशत हिस्सा होना चाहिए।

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इसके साथ ही उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ में जो नक्सल प्रभावित जिले हैं उनके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया। आकांक्षी जिलों के लिए भी कोई राशि का प्रावधान नहीं किया गया। पिछले पांच साल से जो सरकार कर रही उसी में थोड़ा -थोड़ा बढ़ाकर दिया जा रहा है। इससे कोई विशेष फायदा दिखाई नही दे रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जो 5 ट्रिलियन डॉलर हिदुस्तान की इकानॉमी ले जाने की बात कह रहे हैं इसमें कोई बात दिखाई देती नही ये भी केवल जुमलेबाजी है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग उम्मीद कर रहे थे कि आदिवासी किसान जिन्हे हमने अभी वन अधिकार अधिमान्यता पत्र दिया है ऐसे किसानों को 6 हजार रूपए के बदले 12 हजार रूपया दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनकी जमीन भी उपजाऊ नही है। प्रत्येक घर में जल पहुचाने के लिए राज्य का हिस्सा नहीं होना चाहिए। नक्सली क्षेत्र में सड़क बनाने के लिए स्टेट शेयर 40 और 60 का रेसियो कर दिया गया है। इसमें शत प्रतिशत केंद्र की भागीदारी होना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होने कहा कि गांधीपीडिया की बात केवल प्रचार के लिए है, अंतिम छोर में व्यक्ति को लाभ मिले इसका बजट में प्रावधान ही नही है जो कि गांधी जी का मूल सिद्धांत था।